मुंबई,9 नवंबर (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) ने शुक्रवार को बताया कि एक नवंबर को समाप्त हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.6 अरब डॉलर घटकर 682.13 अरब डॉलर रह गया है। हालाँकि,इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख घटकों में से एक,गोल्ड रिजर्व (सोने का भंडार) 1.2 अरब डॉलर बढ़कर 69.8 अरब डॉलर हो गया है।
यह लगातार पाँचवां हफ्ता है,जब भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली है। इससे पिछले हफ्ते,यानी 25 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में,देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.46 अरब डॉलर घटकर 684.80 अरब डॉलर पर आ गया था।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, वैश्विक उथलपुथल और अनिश्चितता के बीच सोने की खरीदारी में वृद्धि देखी जा रही है। सोना महँगाई या आर्थिक अस्थिरता के दौर में एक हेज (सुरक्षा) के रूप में काम करता है और यही कारण है कि इसकी माँग बढ़ी है। वैश्विक बाजारों में महँगाई की दर घटने के बावजूद सोने की कीमतें अभी भी उच्चतम स्तर पर बनी हुई हैं।
इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी 2018 से अब तक 210 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। यह दर्शाता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने के भंडार में लगातार वृद्धि की है,जिससे भारत के वित्तीय स्थिरता में मजबूती आई है।
सितंबर के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया था,जो कि भारत को वैश्विक स्तर पर चीन,जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर ले आया। रिजर्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 34.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है,जो देश के आयात की 11.2 महीनों की कवर क्षमता के बराबर है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति को भी दर्शाता है।
आरबीआई ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग भारतीय रुपया के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए,जब शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली होती है,तो डॉलर की माँग में बढ़ोतरी होने से रुपये की कीमत में गिरावट आती है,जिसे रोकने के लिए रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रबी शंकर ने एक मीडिया कार्यक्रम में हाल ही में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद रुपये में होने वाली अस्थिरता को संभालने के लिए रिजर्व बैंक पूरी तरह तैयार है। उनका कहना था कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने की संभावना से रुपये में उतार-चढ़ाव हो सकता है।