वाशिंगटन,22 जनवरी (युआईटीवी)- भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने पर चर्चा की गई। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर की चर्चा की गई,लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया। पहला मुद्दा अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना और दूसरा मुद्दा अनियमित आव्रजन से जुड़े मुद्दों को हल करना है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह बैठक ट्रंप प्रशासन के तहत भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त करने के लिए की थी।
बैठक के दौरान,रूबियो ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। उन्होंने यह भी बताया कि वह भारत के साथ मिलकर अनियमित आव्रजन से जुड़े समस्याओं का समाधान खोजने के लिए तैयार हैं। यह बैठक अमेरिकी विदेश मंत्री के रूप में मार्को रुबियो का कार्यभार संभालने के बाद की उनकी पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी और इससे यह संदेश मिला कि ट्रंप प्रशासन भारत के साथ संबंधों को बहुत अहमियत दे रहा है।
रूबियो और जयशंकर ने एक साथ अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की। खासकर क्षेत्रीय सुरक्षा,रक्षा सहयोग और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग और साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में दोनों देशों का संयुक्त प्रयास जारी रहेगा। इस बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्रता और खुलेपन को बढ़ावा देने की बात भी की गई,जो कि वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
इस बैठक से पहले,जयशंकर ने चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था,जो एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सुरक्षा मंच है। इसके बाद, उन्होंने वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने एक बयान जारी कर कहा कि इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई,जिनमें विशेष रूप से महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों,ऊर्जा और भारत-अमेरिका के रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की बातें शामिल थीं। इसके अलावा,उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्रता और खुलेपन को बनाए रखने पर भी चर्चा की।
Delighted to meet @secrubio for his first bilateral meeting after assumption of office as Secretary of State.
Reviewed our extensive bilateral partnership, of which @secrubio has been a strong advocate.
Also exchanged views on a wide range of regional and global issues.
Look… pic.twitter.com/NVpBUEAyHK
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) January 21, 2025
इस बैठक के बाद एस जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर एक पोस्ट भी साझा किया,जिसमें उन्होंने कहा कि वह मार्को रुबियो के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक करके बेहद खुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच व्यापक द्विपक्षीय साझेदारी की समीक्षा की,जिसे मार्को रुबियो ने हमेशा मजबूती से समर्थन दिया है। जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ और वह दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए मार्को रुबियो के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं।
इस बैठक में अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई बिंदुओं पर चर्चा की गई। दोनों देशों ने एक साझा दृष्टिकोण से यह स्वीकार किया कि उनके रिश्तों को और अधिक मजबूत किया जा सकता है,खासकर रक्षा, ऊर्जा और उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में। साथ ही,दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि भारत और अमेरिका की साझेदारी दोनों देशों के नागरिकों के लिए फायदेमंद रहे और दोनों देशों के बीच व्यापार और आव्रजन से जुड़े मुद्दों पर सहमति बन सके।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अपनी बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन के तहत भारत के साथ संबंधों को विशेष महत्व दिया जाएगा। खासकर आर्थिक संबंधों और अनियमित आव्रजन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर काम करने के लिए वह भारत के साथ मिलकर एक समग्र रणनीति विकसित करेंगे। इसका उद्देश्य अमेरिका और भारत के नागरिकों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करना है।
भारत और अमेरिका के बीच इस तरह की द्विपक्षीय बैठकें दोनों देशों के बीच रिश्तों को और अधिक मजबूत करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में,भारत और अमेरिका के बीच व्यापार,रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। यह बैठक इन रिश्तों को और आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
अमेरिका और भारत दोनों ही लोकतांत्रिक देशों के रूप में वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ता हुआ सहयोग न केवल उनके द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर बनाता है,बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी अहम है। भारत और अमेरिका के बीच इस तरह की वार्ता और सहयोग भविष्य में और अधिक प्रभावी साबित हो सकता है और इससे दोनों देशों के नागरिकों के लिए नए अवसर पैदा हो सकते हैं।
एस जयशंकर और मार्को रुबियो की द्विपक्षीय बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है,जो भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई दिशा में ले जा सकती है। दोनों देशों के बीच पारस्परिक सहयोग और समझ के आधार पर,आने वाले वर्षों में इन रिश्तों में और भी मजबूती देखने को मिल सकती है।