अरविंद केजरीवाल (तस्वीर क्रेडिट@bindass_ladki)

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल की एक बार फिर से बढ़ी मुश्किलें,6 फ्लैग स्टाफ बंगले के नवीनीकरण मामले में जाँच के दिए आदेश

दिल्ली,15 फरवरी (युआईटीवी)- दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने उनके सरकारी आवास, 6 फ्लैग स्टाफ बंगले के नवीनीकरण मामले में जाँच के आदेश दिए हैं। यह आदेश 13 फरवरी को जारी किया गया, जब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने इस मामले पर एक तथ्यानुसार रिपोर्ट पेश की।

सीवीसी द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, सीपीडब्ल्यूडी को यह जाँच करनी होगी कि क्या इस आलीशान बंगले,जिसे ‘शीश महल’ कहा जा रहा है,के निर्माण में भवन निर्माण के नियमों की अनदेखी की गई थी। इस बंगले का नवीनीकरण करीब 40,000 वर्ग गज (लगभग 8 एकड़) क्षेत्र में किया गया है। आरोप है कि इस निर्माण में कई नियमों का उल्लंघन किया गया और इसे बिना कानूनी मंजूरी के बढ़ाया गया।

इस जाँच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या फ्लैग स्टाफ बंगले के नवीनीकरण में निर्धारित भवन निर्माण नियमों को तोड़ा गया था,ताकि इसे एक आलीशान महल का रूप दिया जा सके। इसके अलावा,इस बात की भी जाँच की जाएगी कि क्या सार्वजनिक धन का सही तरीके से उपयोग हुआ है और क्या इसमें कोई वित्तीय अनियमितताएँ पाई गईं।

अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण को लेकर पहले भी विवाद उठ चुके हैं। बीजेपी ने इसे लेकर कई बार आरोप लगाए हैं। पार्टी ने दिल्ली के 6 फ्लैग स्टाफ बंगले को ‘शीश महल’ कहा है और आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल ने इस आवास के नवीनीकरण में करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया था और इसे केजरीवाल की नीतियों और वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाने का एक प्रमुख आधार बनाया था।

इस मामले में आरोप है कि केजरीवाल के आवास का नवीनीकरण बिना आवश्यक स्वीकृतियों के किया गया था और इस प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ था। इस आवास के निर्माण पर हुई भारी खर्च को लेकर विपक्ष ने केजरीवाल को घेरने की कोशिश की थी और उन्हें यह बताने के लिए मजबूर किया था कि क्यों सार्वजनिक धन का उपयोग इस तरह से किया गया। इसके अलावा,यह आरोप भी लगाया गया था कि इस आलीशान आवास के निर्माण से दिल्ली की जनता की भलाई पर सवाल उठता है,जबकि दिल्ली में अन्य कई समस्याएँ थीं,जिनका समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए था।

सीवीसी की जाँच से केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए कानूनी संकट और बढ़ सकता है। अगर जाँच में यह पाया गया कि नियमों का उल्लंघन किया गया है या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है,तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है,यह देखना दिलचस्प होगा,क्योंकि यह केवल एक व्यक्तिगत आरोप नहीं,बल्कि सरकार के वित्तीय प्रबंधन और सार्वजनिक धन के उपयोग से जुड़ा हुआ मुद्दा है।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सीवीसी की जाँच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं। इसके अलावा,अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर क्या कानूनी दबाव बनेगा, यह भी देखा जाएगा। अगर जाँच में कोई गंभीर अनियमितताएँ पाई जाती हैं,तो इसे लेकर विपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों के द्वारा और अधिक आरोप लगाए जा सकते हैं,जिससे राजनीतिक परिदृश्य में हलचल हो सकती है।

इस मामले के चलते यह स्पष्ट हो गया है कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अपने हमले तेज कर दिए हैं और सीवीसी की जाँच से यह मुद्दा और भी बढ़ सकता है। इस बीच,आम आदमी पार्टी को अपने पक्ष को मजबूत करने और इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी।