केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और ब्रिटेन की चांसलर ऑफ एक्सचेकर रेचल रीव्स (तस्वीर क्रेडिट@BharatTechIND)

भारत व यूके के मध्य फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत जारी,सप्लाई चेन को मजबूती देने के लिए उठाए गए कदम

नई दिल्ली,10 अप्रैल (युआईटीवी)- वैश्विक व्यापार व्यवस्था में जारी पुनर्संरचना के बीच भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने एक बार फिर से अपने मजबूत और रणनीतिक संबंधों को नए आयाम देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। हाल ही में लंदन में आयोजित ’13वां इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल डायलॉग’ (ईएफडी) इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस संवाद की सह-अध्यक्षता भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और ब्रिटेन की चांसलर ऑफ एक्सचेकर रेचल रीव्स ने की।

डायलॉग के दौरान दोनों पक्षों ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) और बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी की दिशा में वार्ता को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। यह संकेत देता है कि भारत और यूके न केवल व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि वैश्विक अस्थिरताओं के बीच एक स्थायी आर्थिक साझेदारी का निर्माण करना भी उनका लक्ष्य है।

डायलॉग के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में बताया गया कि ब्रिटेन की नई औद्योगिक रणनीति के अंतर्गत ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी,जो उन्नत विनिर्माण,लाइफ साइंस और अनुसंधान एवं नवाचार में भारत के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। ब्रिटेन की तकनीकी विशेषज्ञता और शोध क्षमताएँ भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा,पेशेवर सेवाएँ,क्रिएटिव उद्योग,वित्तीय सेवाएँ और रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इन क्षेत्रों में सहयोग से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और द्विपक्षीय निवेश को नई दिशा मिलेगी।

विशेष रूप से,दोनों देशों के बीच ‘भारत-ब्रिटेन रक्षा औद्योगिक रोडमैप’ पर हस्ताक्षर की संभावना पर भी विचार किया गया,जिससे रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूती और रणनीतिक संबंधों को गहराई मिलेगी।

भारत और यूके ने हाल के वर्षों में वित्तीय सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार की सराहना की और इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने भारत की गिफ्ट सिटी आईएफएससी (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) में दिसंबर 2024 में आयोजित फाइनेंशियल मार्केट्स डायलॉग (एफएमडी) की सफलता पर प्रसन्नता जाहिर की।

एफएमडी ने बैंकिंग,बीमा,पेंशन,कैपिटल मार्केट्स और सस्टेनेबल फाइनेंस जैसे विषयों पर दोनों देशों को मिलकर कार्य करने का अवसर प्रदान किया। अब इस वर्ष के अंत में लंदन में अगला एफएमडी आयोजित किया जाएगा,जिसमें वित्तीय संबंधों को और अधिक व्यापक रूप दिया जाएगा।

इस उच्च स्तरीय संवाद में भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर भी चर्चा की गई,जो भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि रुपया अनतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उभरता है,तो इससे भारत के वैश्विक व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी विनिमय जोखिमों में कमी आएगी।

ईएफडी के दौरान भारत और यूके ने इस बात को दोहराया कि उनका उद्देश्य केवल द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाना नहीं है,बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के भीतर साझा समावेशी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना भी है। साथ ही,वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह सहयोग दोनों देशों को आर्थिक स्थिरता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकता है।

लंदन में हुआ यह आर्थिक और वित्तीय संवाद स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि भारत और यूके अपने पारंपरिक रिश्तों को आधुनिक वैश्विक जरूरतों के अनुरूप ढाल रहे हैं। एफटीए,बीआईटी,रक्षा सहयोग,तकनीकी नवाचार और रुपये के वैश्वीकरण जैसे कदम इस साझेदारी को न केवल मजबूत बनाएँगे,बल्कि यह दोनों देशों को वैश्विक मंच पर एक साझा और सशक्त भूमिका निभाने में भी सक्षम बनाएँगे।