दिल्ली में पीएम मोदी और जर्मन चांसलर के बीच बातचीत

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज एशिया प्रशांत सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुँचे,पीएम मोदी से की मुलाकात

नई दिल्ली,25 अक्टूबर (युआईटीवी)- जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ भारत की एक महत्वपूर्ण यात्रा पर हैं। 18वें एशिया प्रशांत सम्मेलन (एपीके 2024) में शामिल होने के लिए जर्मन चांसलर गुरुवार को भारत पहुँच गए। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जर्मन चांसलर का दिल्ली पहुँचने पर स्वागत किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने पोस्ट कर इसकी जानकारी दी।

एक्स पर प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने पोस्ट कर लिखा कि सातवें अंतरसरकारी परामर्श और जर्मन बिजनेस के 18वें एशिया प्रशांत सम्मेलन (एपीके 2024) के लिए जर्मनी के ओलाफ स्कोल्ज नई दिल्ली पहुँचे,जहाँ उनका औपचारिक स्वागत गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा किया गया।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज 18वें एशिया-प्रशांत जर्मन बिजनेस सम्मेलन (एपीके 2024) में हिस्सा लेने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह बैठक प्रधानमंत्री मोदी के आधिकारिक निवास,लोक कल्याण मार्ग पर संपन्न हुई। दोनों नेताओं के मध्य के इस चर्चा को भारत और जर्मनी के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है,जो वैश्विक मुद्दों और क्षेत्रीय विकास पर भी प्रभाव डालेगी।

जर्मन चांसलर और प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे,जिसमें जर्मनी, भारत और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अन्य देशों से लगभग 650 व्यापारिक नेता और सीईओ हिस्सा लेंगे। एपीके 2024 का मुख्य उद्देश्य जर्मनी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देना है। इस सम्मेलन में न केवल दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करने का अवसर मिलेगा बल्कि भारतीय और जर्मन कंपनियों के बीच नए व्यापारिक संबंधों की भी शुरुआत हो सकती है।

सम्मेलन के बाद एक संयुक्त पूर्ण सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें दोनों सरकारों के प्रमुख शामिल होंगे और इसके तहत कई महत्वपूर्ण चर्चाएँ होंगी। यह सत्र जर्मनी और भारत के बीच साझेदारी को और गहराई देने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होगा।

विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर स्कोल्ज़ सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने,प्रतिभाओं के आवागमन के लिए अधिक अवसर प्रदान करने,आर्थिक सहयोग को और गहन बनाने,हरित और सतत विकास साझेदारी को मजबूत करने और उभरती हुई तथा रणनीतिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा करेंगे। इन वार्ताओं का केंद्रबिंदु महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी होगा।

इसके अतिरिक्त, जर्मन चांसलर शनिवार को गोवा का दौरा करेंगे। इस दौरान जर्मन नौसैनिक फ्रिगेट ‘बाडेन-वुर्टेमबर्ग’ और लड़ाकू सहायता जहाज ‘फ्रैंकफर्ट एम मेन’ गोवा के एक निर्धारित बंदरगाह पर रुकेंगे। यह जर्मनी की हिंद-प्रशांत तैनाती का हिस्सा है और इससे यह संकेत मिलता है कि जर्मनी अपने समुद्री साझेदारी को और मजबूत करने का इच्छुक है। जर्मन नौसैनिकों की यह तैनाती इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है,जो इस क्षेत्र में भारत के साथ उसके रिश्तों को और अधिक मजबूत करेगा।

यह यात्रा स्कोल्ज़ की भारत के प्रति लगातार बढ़ती रुचि को भी दर्शाती है। वे इससे पहले भी फरवरी 2023 में द्विपक्षीय यात्रा और सितंबर 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ चुके हैं। भारत और जर्मनी के बीच यह उच्च स्तरीय बैठकें और चर्चाएँ न सिर्फ दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर इनकी सहभागिता को भी बढ़ावा देती हैं।