डॉलर व गोल्ड

गोल्ड लोन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक जारी करेगी नए दिशानिर्देश

मुंबई,9 अप्रैल (युआईटीवी)- सोने के आभूषणों को गिरवी रखने पर मिलने वाले गोल्ड लोन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने व्यापक नियम जारी किए जाने की घोषणा की है। यह कदम सोने के गिरवी रखने के बदले लोन देने के कारोबार में बेहतर निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सोने के आभूषणों और गहनों के जमानत के बदले लोन देने के लिए विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा उपभोग और आय-उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि समय-समय पर ऐसे लोन के लिए विवेकपूर्ण और आचरण-संबंधी नियम जारी किए गए हैं,जो विभिन्न श्रेणियों के आरई के लिए अलग-अलग थे। अब,इन नियमों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से,आरई की जोखिम लेने की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए और कुछ मौजूदा चिंताओं को देखते हुए,आरबीआई ने ऐसे लोन के लिए व्यापक और समग्र नियमों को जारी करने का निर्णय लिया है।

आरबीआई की ओर से जारी किए गए ड्राफ्ट गाइडलाइंस को पब्लिक कमेंट के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इसका मतलब है कि यह नियम तब तक पूरी तरह से लागू नहीं होंगे,जब तक सार्वजनिक स्तर पर इन पर विचार विमर्श न हो जाए। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े और सभी संबंधित पक्षों के हितों की रक्षा हो।

इस घोषणा के बाद बुधवार को मुथूट फाइनेंस,आईआईएफएल फाइनेंस,मणप्पुरम फाइनेंस,चोला मंडलम इन्वेस्टमेंट और फिन कंपनी के शेयरों में 7 प्रतिशत तक की गिरावट आई। इन कंपनियों का कारोबार मुख्य रूप से गोल्ड लोन से संबंधित है और आरबीआई के इस फैसले के बाद उनके निवेशकों के बीच चिंता पैदा हो गई है, क्योंकि इससे इन कंपनियों की आय और व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं।

आरबीआई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार,देश भर में गोल्ड लोन में तेज उछाल देखा गया है,जो वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सोने को गिरवी रखने की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। रिपोर्ट के मुताबिक,सितंबर 2024 को समाप्त होने वाली अवधि में गोल्ड लोन में एक साल पहले की तुलना में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि लोग अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अब सोने के आभूषणों और गहनों पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।

हालाँकि,केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन देने वाली कुछ सुपरवाइज्ड एंटिटी (एसई) के बीच अनियमितताओं को लेकर चिंता व्यक्त की। आरबीआई ने कहा कि गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों में कुछ खामियाँ और गड़बड़ियाँ देखी गई हैं,जिनमें आउटसोर्सिंग प्रैक्टिस में कमियाँ,सोने का मूल्यांकन सही ढंग से न किया जाना और लोन फंड के अंतिम उपयोग की अपर्याप्त निगरानी शामिल हैं। इन समस्याओं को देखते हुए, आरबीआई ने 30 सितंबर 2024 तक इन मुद्दों का समाधान करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया है।

आरबीआई के इन कदमों का उद्देश्य गोल्ड लोन के पोर्टफोलियो में तीव्र वृद्धि को सस्टेनेबल बनाए रखना है,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गोल्ड लोन देने के कारोबार में अनुचित व्यवहारों को रोका जा सके। यह कदम न केवल वित्तीय संस्थाओं के लिए,बल्कि उधारकर्ताओं के लिए भी महत्वपूर्ण होगा,क्योंकि यह उन्हें अधिक सुरक्षित और उचित शर्तों पर लोन प्राप्त करने में मदद करेगा।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) गोल्ड लोन सेगमेंट में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। मार्च 2024 तक,बैंकों और एनबीएफसी दोनों द्वारा वितरित कुल गोल्ड लोन में से 59.9 प्रतिशत का हिस्सा एनबीएफसी के पास था। यह आँकड़ा यह दिखाता है कि एनबीएफसी गोल्ड लोन के क्षेत्र में अपनी प्रभावी उपस्थिति बनाए हुए हैं और वे उन उधारकर्ताओं की वित्तीय जरूरतों को पूरा कर रही हैं,जो लोन प्राप्त करने के लिए सोने के आभूषणों और गहनों पर निर्भर हैं।

गोल्ड लोन की बढ़ती माँग और इसके लिए नियामक ढाँचे को मजबूत करने की आवश्यकता के बीच,आरबीआई द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देश उद्योग को सुधारने और उसे अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि गोल्ड लोन लेने वाले उधारकर्ताओं को उचित तरीके से लोन दिया जाए और वे अनुचित शर्तों का सामना न करें। इसके साथ ही,वित्तीय संस्थाओं को भी अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करने और जोखिमों को सही तरीके से संभालने का अवसर मिलेगा।

आरबीआई का यह कदम गोल्ड लोन उद्योग में विश्वास और स्थिरता बढ़ाने का प्रयास है,ताकि यह क्षेत्र भविष्य में भी उधारकर्ताओं और निवेशकों दोनों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय बना रहे।