नई दिल्ली, 14 मार्च (युआईटीवी/आईएएनएस)| किसानों को उनकी उपज का लाभकारी दाम दिलाने के साथ-साथ देश की एक बड़ी आबादी को सस्ता अनाज उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार अनाजों की खरीद से लेकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थियों के बीच वितरण तक की पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने पर जोर दे रही है। इस पूरी कवायद में असली किसानों से अनाजों की खरीद सुनिश्चित करना और पीडीएस के लाभार्थियों को उनके हिस्से का पूरा-पूरा अनाज मुहैया करवाना सरकार का मकसद है। अनाजों की खरीद, भंडारण और वितरण की इस पूरी व्यवस्था में डिजिटलीकरण पर इसलिए जोर दिया गया है कि ताकि कहीं गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न रहे।
देश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) पर अनाजों की खरीद में दाम का भुगतान सीधे किसानों के खाते में करने पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारी बताते हैं कि किसानों को ऑनलाइन भुगतान पंजाब को छोड़कर बाकी राज्यों में शुरू हो चुका है और पंजाब में भी इसे लागू करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और बिहार में किसानों को एमएसपी का ऑनलाइन भुगतान होने लगा है, लेकिन पंजाब में अब तक आढ़तियों के माध्यम से ही भुगतान होता है।
बकौल अधिकारी, ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था लागू होने से असली किसानों को एमएसपी पर खरीद का फायदा मिलना सुनिश्चित होगा। अधिकारी बताते हैं कि ऐसे भी वाकये सामने आए हैं जहां फसल के उत्पादन के अनुमान से ज्यादा खरीद हुई है। लिहाजा, एमएसपी पर खरीद के लिए किसानों की पहचान करना लाजिमी है ताकि इसका फायदा असली किसानों को ही मिल पाए।
केंद्र सरकार ने इस साल रबी सीजन में किसानों से रिकॉर्ड 427.23 लाख टन गेहूं एमएसपी पर खरीदने का लक्ष्य रखा है जोकि पिछले साल से 9.56 फीसदी अधिक होने के साथ-साथ इस साल के कुल उत्पादन का 39.13 फीसदी है। वहीं, सरकारी एजेंसियां मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहनों व तिलहनों की खरीद कुल उत्पादन का 25 फीसदी तक करती हैं।
बाजार के जानकार बताते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद एमएसपी पर होने से इस साल भाव उंचा रहेगा जिससे जो किसान एमएसपी पर नहीं बेच पाते हैं उनको भी अपेक्षाकृत बेहतर दाम मिल पाएगा। मतलब, देश के किसी भी हिस्से में किसान औने-पौने भाव पर गेहूं बेचने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
हालांकि, मध्यप्रदेश की मंडियों में इस समय गेहूं की नई फसल का भाव 1650-1,700 रुपये (मिल क्वालिटी) प्रतिक्विंटल चल रहा है जबकि गेहूं का एमएसपी 1975 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीद इसी महीने में शुरू होने जा रही है जबकि देशभर में रबी विपणन सीजन 2021-22 के तहत गेहूं की खरीद एक अप्रैल से शुरू होती है।
मध्य प्रदेश में इस साल देश में सबसे ज्यादा 135 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य है। जबकि दूसरे स्थान पर पंजाब में 130 लाख टन। देश में गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश से 55 लाख टन सरकारी खरीद का लक्ष्य है। अधिकारी बताते हैं कि किसानों से अनाज खरीद के साथ-साथ समुचित भंडारण की व्यवस्था भी गई है जिससे सरकारी गोदामों में अब अनाजों की बबार्दी नगण्य होती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) 2013 के तहत देश की गरीबों को काफी कम दाम पर पांच किलो अनाज हर महीने मुहैया करवाया जाता है। जनगणना 2011 के आधार पर तय मानदंडों के अनुसार, देश की 67 फीसदी आबादी को एनएफएसए का लाभ मिलता है जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के 75 फीसदी और शहरी क्षेत्र के 50 फीसदी लोग शामिल है। एनएफएसए के लाभार्थियों को महज तीन रुपये किलो चावल और दो रुपये किलो गेहूं सरकारी राशन की दुकानों से उपलब्ध करवाए जाते हैं। इस कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए प्रौद्योगिकी का सहारा लिया गया है और पूरे देश में पीडीएस के लाभार्थियों का शतप्रतिशत राशन कार्ड डिजिटल हो चुका है और 91 फीसदी राशन कार्ड में आधार सीडिंग हो चुकी है और इसे पूरी करने की इसकी आखिरी तारीख 31 मार्च 2021 है।
जहां लाभार्थियों के आधार की सीडिंग हो चुकी है वहां इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) मशीन के जरिए राशन वितरण होता है। अधिकारी बताते हैं कि राशन वितरण में हर स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। कुछ राज्यों में लाभार्थियों को एसएमएस के जरिए भी राशन की दुकान में अनाज आने की तारीख से लेकर अनाज के परिमाण तक की सूचना दी जाती है।
रोजगार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर को जाने वाले पीडीएस के लाभार्थियों को देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से राशन मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना पूरे देश में लागू होने के अंतिम चरण में है। इस योजना से देश के 32 राज्य जुड़ चुके हैं। सिर्फ पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, असम और छत्तीसगढ़ अब तक नहीं जुड़ जाए हैं। लेकिन अधिकारी बताते हैं कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली में ई-पोओएस मशीन लग चुकी है जबकि असम और छत्तीसगढ़ में इसका प्रोक्योरमेंट चल रहा है।
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के कंप्यूटरीकरण और राशन कार्ड व लाभार्थियों के डाटा के डिजिटलीकरण से करीब 4.39 करोड़ अपात्र व डुप्लीकेट राशन कार्ड को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि अधिकारी बताते हैं कि किसी भी वास्तविक लाभार्थी का राशन कार्ड डिलीट नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसके तय मानदंड के अनुसार जांच-परख की जाती है।
खाद्य सचिव ने बताया कि महज राशन नहीं लेने की वजह से किसी लाभार्थी का राशन कार्ड डिलीट नहीं किया जाता है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘मेरा राशन’ नाम से एक ऐप लांच किया है जिससे प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों को अपने गंतव्य स्थानों पर अपने हिस्से का राशन मिलने में सहूलियत मिलेगी। इस ऐप के जरिए उन्हें राशन की दुकान से लेकर तमाम वांछित जानकारी मिलेगी।