फजलहक फारूकी (तस्वीर क्रेडिट@acb_190)

आईसीसी ने अफगानिस्तान के तेज गेंदबाज फारूकी पर अंपायर के फैसले पर असहमति जताने पर जुर्माना लगाया गया

दुबई,21 दिसंबर (युआईटीवी)- अफगानिस्तान के बाएँ हाथ के तेज गेंदबाज फजलहक फारूकी पर हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए तीन मैचों की वनडे सीरीज के दूसरे मुकाबले के दौरान अंपायर के फैसले का विरोध करने के कारण मैच फीस का 15 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया। आईसीसी की आचार संहिता के लेवल एक उल्लंघन के तहत यह जुर्माना लगाया गया,जो खिलाड़ियों द्वारा अंपायर के फैसले से असहमत होने पर लागू होता है।

फारूकी ने यह उल्लंघन जिम्बाब्वे की पारी के 5वें ओवर में किया। क्रेग इरविन के खिलाफ उन्होंने एलबीडब्ल्यू की अपील की,जिसे अंपायर ने नकार दिया। अंपायर द्वारा फारूकी के अपील को ठुकराए जाने के बाद फारूकी ने अंपायर के फैसले पर असहमति जताई और रिव्यू के लिए इशारा किया,जबकि उस मैच में निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) प्रणाली उपलब्ध नहीं थी।

आईसीसी की आचार संहिता के अनुच्छेद 2.8 के तहत यह उल्लंघन खिलाड़ियों को अंपायर के फैसले पर आपत्ति जताने से संबंधित होता है। फारूकी का यह कृत्य इस नियम का उल्लंघन था,जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मैच फीस का 15 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ा और साथ ही उनके अनुशासनात्मक रिकॉर्ड में एक अवगुण (डिमैरिट) अंक भी जोड़ा गया। अफगानिस्तान के तेज गेंदबाज फारूकी ने पिछले 24 महीनों के भीतर पहली बार आचार संहिता का उल्लंघन किया है।

एंडी पाइक्रोफ्ट इस मैच के मैच रैफरी थे और फारूकी ने अपने अपराध क स्वीकार करते हुए एंडी पाइक्रोफ्ट द्वारा प्रस्तावित जुर्माने को स्वीकार कर लिया। आईसीसी की आचार संहिता के तहत, यदि कोई खिलाड़ी जुर्माने को स्वीकार कर लेता है,तो उन्हें अनुशासनात्मक सुनवाई का सामना नहीं करना पड़ता। इसका मतलब है कि फारूकी को इस जुर्माने के लिए किसी भी प्रकार की सुनवाई में नहीं बुलाया जाएगा, बशर्ते उन्होंने जुर्माने को स्वीकार किया हो।

यह घटना अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे के बीच खेले गए मैच के दौरान हुई, जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में विवादों के कारण चर्चा में रहा। हालाँकि,यह केवल एक छोटी सी घटना थी,लेकिन इसने आईसीसी की आचार संहिता की गंभीरता को भी उजागर किया। आईसीसी इस तरह के उल्लंघनों पर बहुत सख्त रहती है,क्योंकि उसका उद्देश्य खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर की अनुशासनशीलता बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है। फारूकी के लिए यह एक महत्वपूर्ण सीखने का अनुभव हो सकता है और भविष्य में उन्हें इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी।

इस घटना ने यह भी दिखाया कि आईसीसी के नियम केवल खिलाड़ियों को खेल के दौरान श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित नहीं करते,बल्कि यह सुनिश्चित करते हैं कि खिलाड़ी खेल के नियमों और आचार संहिता का पालन करें। फारूकी का यह उल्लंघन उनके खेल जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता था,लेकिन उन्होंने जल्दी-ही जुर्माना स्वीकार कर लिया और मामले को जल्दी सुलझा लिया। इस घटना के बाद,उन्हें यह एहसास होगा कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए उन्हें अधिक संयम और अनुशासन का पालन करना होगा।

इस दौरे के दौरान पहले भी अफगानिस्तान के खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाया गया था। अफगानिस्तान के खिलाड़ी गुलाबदीन नायब पर भी एक अन्य जुर्माना लगाया गया था। यह दर्शाता है कि अफगानिस्तान के क्रिकेटरों के लिए इस सीरीज में अनुशासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। आईसीसी द्वारा लगाए गए जुर्माने और अनुशासनात्मक कार्रवाई से यह भी स्पष्ट होता है कि किसी भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी से उच्चतम मानकों की उम्मीद की जाती है,चाहे वह मैदान पर हो या बाहर।

फारूकी के लिए यह एक चेतावनी है कि क्रिकेट में सिर्फ तकनीकी कौशल ही नहीं, बल्कि मानसिक और अनुशासनात्मक तैयारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस तरह की घटनाओं से खिलाड़ी सीख सकते हैं और अपने भविष्य के प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं। इस जुर्माने और डिमैरिट अंक के बावजूद फारूकी का करियर अभी भी बहुत उज्जवल है और इस घटना से उन्होंने महत्वपूर्ण शिक्षा प्राप्त की होगी।