बीजिंग, 14 सितम्बर (युआईटीवी/आईएएनएस)| हिन्दी दुनिया में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। भारत और अन्य देशों में 90 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। भारत से बाहर 260 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि चीन में हिन्दी का रुझान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। चीन में ऐसे छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है जो हिंदी भाषा सीख रहे हैं। इन छात्रों में भारतीय मूल के निवासियों के अलावा चीनी छात्र भी शामिल हैं। चीन की अलग-अलग संस्थाओं में लगभग 80 विदेशी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। लेकिन हाल के कुछ सालों में हिन्दी यहां की एक लोकप्रिय भाषा बनकर उभरी है। चीन में हिन्दी भाषा पढ़ाने वाली संस्थाओं में बीजिंग विश्वविद्यालय, बीजिंग विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय आदि विभिन्न कॉलेजों का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
साल 1949 से अब तक के करीब 71 सालों में चीन के 15 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाने लगी है। हिन्दी सीखने वाले चीनी छात्रों की संख्या में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। नया चीन बनने के शुरूआती समय में, चीन में हिन्दी का इस्तेमाल सिर्फ देश के प्रचार-प्रसार करने के लिए होता था, लेकिन आज हिन्दी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होने लगा है। आज हिन्दी भाषा चीन और भारत की संस्कृति के विकास में अहम भूमिका निभा रही है।
किसी देश की आत्मा उसकी भाषा होती है। भाषाओं के जरिये ही भारत और चीन एक-दूसरे से गंभीरता के साथ बातचीत कर सकते हैं। चीन में सुधार और खुलेपन की नीति लागू होने के चलते चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान लगातार बढ़ रहा है और अधिकाधिक चीनी कंपनियां भारत के बाजार में प्रवेश कर रही हैं। इसे देखते हुए चीन में हिन्दी जानने वालों की मांग बढ़ने लगी है। कहा जाए तो चीनी छात्रों के लिए हिन्दी भाषा उनके लिए रोजगार पाने का एक जरिया बन गया है।
व्यवसाय के अवसर के साथ जुड़ना
चीन में हिन्दी भाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों का मानना है कि हिन्दी की लोकप्रियता का एक मुख्य कारण इस भाषा से एक व्यवसाय के अवसर के साथ जुड़ना है। हिन्दी रोजगार दिलाने में सक्षम है, क्योंकि जहां इतनी बड़ी तादाद में लोग भाषा को समझते हैं, बोलते हैं, तो उस भाषा में रोजगार न मिलें ऐसा नहीं हो सकता। विश्व में ऐसी कई सारी सॉफ्टवेयर कंपनियां हैं, जो हिन्दी भाषा में काम कर रही हैं, हिन्दी भाषा में तकनीकों को लेकर आ रही हैं।
भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ने के साथ ही चीन में हिन्दी सीखने की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। कुछ चीनी छात्रों का कहना है कि भारत से लगाव की वजह से उन्होंने हिंदी सीखने का फैसला किया है। भले ही 1985 में यहां हिन्दी सीखने वालों की संख्या न के बराबर थी, लेकिन आज यहां अलग-अलग विश्वविद्यालयों में 200 से ज्यादा छात्र हिन्दी पढ़ रहे हैं। चीन के लगभग 20 विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग खुल चुके हैं। यहां रह रहे भारतीय भी हिन्दी सिखाने वाले संस्थान चला रहे हैं।
हिन्दी भाषा का अध्ययन करने वाले चीनी छात्र अपनी शिक्षा को पूर्ण करने और भारतीय संस्कृति को करीब से समझने के लिए कुछ समय भारत में बिताते हैं। इसके अलावा, हर साल कुछ चीनी छात्र महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में दाखिला लेते हैं। ये लोग हिन्दी भाषा में डिप्लोमा करने से लेकर पीएचडी तक करते हैं। केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा की मानें तो हिन्दी सीखने के मामले में चीनी लोग सबसे आगे हैं। इस संस्थान में हिन्दी सीखने आने वाले विदेशियों में हर साल सबसे ज्यादा संख्या चीनी विद्यार्थियों की रहती है।
चीनी छात्रों के हिन्दी नाम
इसके अलावा, हिन्दी पढ़ने वाले चीनी छात्र अपना हिन्दी नाम या कोई भारतीय नाम रख लेते हैं, और साधारण रूप से अपनी पहचान भी भारतीय नामों से करवाते हैं। इस तरह हिन्दी आज चीन की सर्वाधिक लोकप्रिय विदेशी भाषाओं में से एक बन गयी है। सबसे बड़ी बात यह है कि हिन्दी पढ़ने के बाद इन छात्रों को रोजगार मिलने में कोई परेशानी नहीं होती है। भारत में व्यापार करने वाली कंपनियों में इन्हें तुरंत नौकरी मिल जाती है।
चीन में हिन्दी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र भारत को समझने के लिए भारत के धमर्ं-ग्रंथों का भी अध्ययन करते हैं। वे अपनी पढ़ाई के दौरान ऐतिहासिक भारतीय ग्रन्थ जैसे रामायण, महाभारत, गीता और मनुस्मृति का भी बड़ी उत्सुकता के साथ अध्ययन करते हैं। चीनी विद्यार्थी भारतीय सभ्यता और संस्कृति से परिचित हो रहे हैं, और उनमें सीखने की लालसा भी देखने को मिलती है।
हिन्दी फिल्मों का भी योगदान
चीन में हिन्दी भाषा की ओर रूझान बढ़ने का श्रेय हिन्दी फिल्मों को भी जाता है। पिछले कुछ समय से चीन में हिन्दी फिल्मों का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है और चीनी लोगों को हिन्दी फिल्में पसंद आने लगी हैं। ऐसे में चीनी लोग हिन्दी भाषा के प्रति आकर्षित होने लगे हैं। साल 2018 में 11 भारतीय फिल्में बिना चीनी भाषा में डब हुए चीनी सिनेमाघरों में लगीं। चीनी लोगों ने बिना चीनी डबिंग के इन फिल्मों को बहुत पसंद किया, और जिन लोगों ने हिन्दी भाषा नहीं पढ़ी, वे भी फिल्मों के जरिए थोड़ी-बहुत हिंदी बोलने लगे हैं। यानी की चीन में हिन्दी का जादू बढ़चढ़ कर चल रहा है।