नई दिल्ली, 25 सितम्बर (युआईटीवी/आईएएनएस)| संसद से पारित तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का एलान किया है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत देशभर के किसान कृषि से जुड़े इन विधेयकों के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने अंबाला से फोन पर बताया कि पूरा हरियाणा बंद रहेगा। किसान अपने घरों से निकल चुके हैं और जगह-जगह सड़कों पर इकट्ठा होने लगे हैं। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने भी बताया कि किसान अपने-अपने घरों से कूच कर चुके हैं और पूरे प्रदेश में करीब 400 जगहों पर लामबंद हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी किसानों का सड़कों पर उतरना शुरू हो गया है। भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि उनके संगठन से जुड़े किसान नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत समेत कई जगहों पर सड़क जाम करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि 11 बजे से पूरे देश में चक्का जाम है। हालांकि उन्होंने बताया कि यह बंद सिर्फ सड़कों पर रहेगा रेल रोको का कोई आयोजन नहीं है। टिकैत ने कहा, शहरों में प्रवेश करना या शहरों की दुकानों को बंद करने का प्रयास करना हमारे बंद के आयोजन में शामिल नहीं है। हम सिर्फ मुख्य मार्गों और गावों की सड़कों को जाम करके विधेयक पर अपना सांकेतिक विरोध जताएंगे।
उन्होंने कहा कि विचारधारा व दलों की राजनीति के दायरे से बाहर आकर किसानों के हितों के लिए काम करने वाले तमाम संगठनों से इस बंद का समर्थन करने की अपील की गई है और ज्यादातर संगठन इस बंद में शामिल हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता कि किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
किसान संगठन विधेयक वापस लेने की मांग कर रहे हैं।