नई दिल्ली,9 अप्रैल (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा आज,बुधवार सुबह 10 बजे, प्रमुख ब्याज दर के बारे में बड़ा ऐलान करेंगे। इस दौरान मल्होत्रा का संबोधन आरबीआई के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकेगा। यह घोषणा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के आखिरी दिन की जाएगी,जो आज समाप्त हो रही है।
इस बैठक की शुरुआत 7 अप्रैल को हुई थी और यह वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली बैठक है,साथ ही यह कैलेंडर वर्ष 2024 में आयोजित दूसरी बैठक भी है। बैठक के दौरान ब्याज दरों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। विशेषज्ञों द्वारा यह संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती कर सकता है। इसके साथ ही,आरबीआई अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भी जानकारी प्रदान कर सकता है,जो देश की मौजूदा आर्थिक हालात को समझने में मदद करेगा।
यह पहला बार नहीं हो रहा है,जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है। इससे पहले, आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी बैठक में भी ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। फरवरी में हुई बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर 6.5 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया गया था। यह कटौती लगभग 5 साल बाद की गई थी।
रेपो रेट वह दर है,जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों को ऋण देता है। जब रेपो रेट घटती है,तो बैंकों को सस्ते लोन मिलते हैं। इसका सीधा असर ग्राहकों पर होता है,क्योंकि जब बैंकों को सस्ते लोन मिलते हैं,तो वे अपनी ब्याज दरों में भी कटौती करते हैं। इसके परिणामस्वरूप,ग्राहकों को सस्ते कर्ज मिलते हैं,जिससे अर्थव्यवस्था में माँग बढ़ सकती है और विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में छह सदस्य होते हैं,जिनमें से तीन बाहरी सदस्य हैं। मौद्रिक नीति समिति की बैठक में शामिल होने वाले नए सदस्य सौगत भट्टाचार्य,डॉ. नागेश कुमार और प्रोफेसर राम सिंह हैं। सौगत भट्टाचार्य एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं,जबकि डॉ. नागेश कुमार औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। प्रोफेसर राम सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक हैं। इनके अलावा,आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा,कार्यकारी निदेशक डॉ. राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव भी इस समिति का हिस्सा हैं।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक नियमित रूप से आयोजित किया जाता है। आरबीआई ने मार्च में ही 2024-2025 के लिए बैठक शेड्यूल जारी किया था,जिसमें छह बैठकों का आयोजन प्रस्तावित किया गया है। इस शेड्यूल के अनुसार, 7-9 अप्रैल को पहली बैठक हुई, 4-6 जून को दूसरी बैठक, 5-7 अगस्त को तीसरी, 29 सितंबर से 1 अक्टूबर को चौथी, 3-5 दिसंबर को पाँचवीं और 4-6 फरवरी,2026 को छठी बैठक होगी।
यह बैठक महत्वपूर्ण है,क्योंकि केंद्रीय बैंक द्वारा की जाने वाली निर्णयों का असर देश की अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति,विशेष रूप से ब्याज दरों में बदलाव,घरेलू बाजारों,निवेशकों और उपभोक्ताओं की मानसिकता को प्रभावित करती है। यदि रेपो रेट में कटौती होती है,तो इसका असर बैंकिंग क्षेत्र से लेकर रियल एस्टेट,वाहन उद्योग,खुदरा बिक्री और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का आज का संबोधन और उनकी अध्यक्षता में की जाने वाली बैठक के निर्णय,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे। यह न केवल वित्तीय वर्ष 2025-26 की दिशा तय करने में मदद करेगा,बल्कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत के आर्थिक विकास की गति को भी प्रभावित करेगा।
इस दौरान,यह भी देखा जाएगा कि आरबीआई गवर्नर द्वारा उठाए गए कदमों से घरेलू निवेशकों का विश्वास कैसे बना रहता है और बैंकों को सस्ती दरों पर लोन मिलने से भारतीय उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में कितना सुधार होता है। यही कारण है कि आज के इस अहम ऐलान को लेकर बाजार और अर्थशास्त्री बहुत उत्साहित हैं।