भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर

भारत आज बदल रहा है,जिसे जापान को पहचानना होगा: एस. जयशंकर

टोक्यो,7 मार्च (युआईटीवी)- भारत आज तीव्र गति से बदल रहा है,जिसे जापान को पहचानना होगा,यह बात विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने टोक्यो में गुरुवार को पहले रायसीना गोलमेज सम्मेलन में कहा। उन्होंने कहा कि भारत एक अलग तरह का देश है,जो आज के मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में तेज गति से बदल रहा है और जापान के लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने टोक्यो में पहले रायसीना गोलमेज सम्मेलन में भारत में हो रहे परिवर्तन पर कहा कि भारत में लगातार तीव्र गति से बदलाव आ रहे हैं,जो इसे अधिक विश्वसनीय और प्रभावी हिस्सेदार बनाता है। दोनों देशों के मध्य ट्रैक 2 डिप्लोमैसी सम्मेलन में एस. जयशंकर बोल रहे थे।

आगे उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारत में परिवर्तन की मौजूदा गति की जापान को सराहना करना चाहिए। आज के समय में प्रतिदिन भारत 28 किलोमीटर हाईवे का निर्माण कर रहा है, हर वर्ष डेढ़ से दो मेट्रो का निर्माण कर रहा है,प्रतिवर्ष नए एयरपोर्ट का निर्माण कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत ने पिछले 10 सालों में प्रतिदिन दो नए कॉलेजों का निर्माण किया,अपने तकनीकी और चिकित्सकीय संस्थानों की संख्या को दोगुना किया है। यह भारत के वह परिवर्तन है,जिसकी बदौलत वैश्विक मंच पर भारत अधिक विश्वसनीय और प्रभावशाली साझेदार बनाता है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि,भारत ने एक अलग देश के रूप में विश्व में एक स्पष्ट रूप से अपनी पहचान को स्थापित किया है। चाहे बुनियादी ढाँचे का विकास हो,ईज ऑफ डूइंग बिजनेस हो,स्टार्टअप हो,डिजिटल डिलीवरी हो,ईज ऑफ लिविंग हो,नवाचार संस्कृति इत्यादि हो,भारत ने हर क्षेत्र में विकास किया है। इसलिए आज के समय में जापान को इस बात को पहचानने की जरूरत है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अभी भी वैश्विक व्यवस्था की सबसे सार्वभौमिक अभिव्यक्ति है,जिसका सुधार होना बहुत जरुरी है। संयुक्त राष्ट्र संरचनाओं को भारत और जापान और अधिक समकालीन बनाना चाहते हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तव में यह बहुत मुश्किल काम है,लेकिन एशिया में बहुध्रुवीयता के लिए हमें दृढ़ रहना होगा,यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें संतुलन बनाए रखना हमारे सामान्य हित के लिए भी आवश्यक है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और जापान दृष्टिकोण के चुनौतियों के बारे में कहा कि आज के समय में दुनिया अधिक अप्रत्याशित,अनिश्चित,अस्थिर और खुले विचारों वाली हो गई है।इसलिए भारत और जापान को राष्ट्रीय दृष्टिकोण का सामना तो करना ही है,उसके साथ ही निकट भविष्य में भारत और जापान को अपने स्वयं के दृष्टिकोण से भी सामना करना होगा।

ग्लोबल साउथ में विकास सहायता के संबंध में एस. जयशंकर ने जापानी सहयोग का भी आह्वान किया।

पिछले महीने रायसीना डायलॉग नई दिल्ली में हुई थी,जिसके बाद टोक्यो में पहली रायसीना राउंडटेबल का आयोजन हुआ। जहाँ नए ग्लोबल ऑर्डर को लेकर आने वाली चुनौतियों पर भारत और जापान के एक साथ काम करने की इच्छा पर जोर दिया गया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर तीन दिवसीय जापान दौरे पर हैं। उनके इस दौरे से उम्मीद जताई जा रही है कि द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर दोनों मंत्री अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

 

 

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