पी. हरीश (तस्वीर क्रेडिट@VipinSemwal78)

भारत ने पाकिस्तान को कश्मीर छोड़ने की कड़ी चेतावनी देते हुए कहा: कश्मीर खाली करो,आतंकवाद को सही ठहराना बंद करो

संयुक्त राष्ट्र,25 मार्च (युआईटीवी)- भारत ने पाकिस्तान से जम्मू और कश्मीर में अवैध रूप से कब्जे वाली जमीन को खाली करने और राज्य प्रायोजित आतंकवाद को सही ठहराना बंद करने की माँग की है। यह बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के मुद्दे को बार-बार उठाने की कोशिशों के जवाब में दिया गया था। भारत के स्थायी प्रतिनिधि,पी. हरीश ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “पाकिस्तान के बार-बार किए गए ऐसे उल्लेख न तो उनके अवैध दावों को सही ठहराते हैं और न ही उनके राज्य द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को उचित ठहराते हैं।”

हरीश ने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा बनाए हुए है,जिसे उसे खाली करना चाहिए। उनका कहना था कि, “जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा।” भारत ने पाकिस्तान को यह सलाह भी दिया कि वह अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा परिषद जैसे मंच का ध्यान न भटकाए।

इससे पहले,पाकिस्तान के विदेश मामलों के कनिष्ठ मंत्री सैयद तारिक फातमी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कश्मीर के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव फिर से उठाया था। उन्होंने परिषद से यह माँग की थी कि कश्मीर के लिए किए गए प्रस्ताव को लागू किया जाए,जिसमें पाकिस्तान को यह आदेश दिया गया था कि वह जम्मू और कश्मीर से उन कबीलों और पाकिस्तानी नागरिकों को हटाए,जो वहाँ सामान्य निवासी नहीं हैं और लड़ाई के उद्देश्य से कश्मीर में घुसे थे।

यह प्रस्ताव पाकिस्तान से यह भी माँग करता था कि वह आतंकवादियों की मदद करना बंद करे और आतंकवादियों को कश्मीर में घुसपैठ करने से रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करे। इसके अलावा,पाकिस्तान से यह भी कहा गया था कि वह ऐसे तत्वों को जो कश्मीर में संघर्ष को बढ़ावा दे रहे हैं,उन्हें सहायता प्रदान न करे।

भारत ने इस संदर्भ में यह कहा कि जब यह प्रस्ताव पारित हुआ था,तब जनमत संग्रह नहीं हो सका क्योंकि पाकिस्तान ने कश्मीर से अपनी सेना की वापसी की शर्तों को पूरा करने से इनकार कर दिया था। भारत का यह कहना था कि अब जनमत संग्रह अप्रासंगिक हो चुका है,क्योंकि कश्मीर के लोग विभिन्न चुनावों में भाग लेकर और अपने नेताओं को चुनकर भारत के प्रति अपनी निष्ठा स्पष्ट कर चुके हैं। भारत का यह भी कहना है कि कश्मीर का मुद्दा अब एक द्विपक्षीय मामला बन चुका है,जिसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती।

इसके अतिरिक्त,सैयद तारिक फातमी ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) का भी जिक्र किया,जिसकी स्थापना 1949 में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम की निगरानी के लिए की गई थी। पाकिस्तान ने यूएनएमओजीआईपी की भूमिका को फिर से प्रमुख बनाने की कोशिश की,लेकिन भारत ने इसे अस्वीकार कर दिया है। भारत यूएनएमओजीआईपी की मौजूदगी को बमुश्किल बर्दाश्त करता है और इसे अब इतिहास का एक अवशेष मानता है। भारत का कहना है कि 1972 में हुए शिमला समझौते के बाद,कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय मामला मान लिया गया था और अब इस मामले में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती है।

भारत ने यूएनएमओजीआईपी को बेमानी मानते हुए 1972 के शिमला समझौते के बाद इसे अप्रासंगिक करार दिया है। शिमला समझौते में दोनों देशों के नेताओं ने यह स्पष्ट किया था कि कश्मीर विवाद का समाधान केवल द्विपक्षीय बातचीत से ही होगा और इसमें किसी भी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी स्वीकार नहीं की जाएगी। इसके बाद से भारत ने नई दिल्ली में स्थित सरकारी इमारतों से यूएनएमओजीआईपी को हटा दिया था।

भारत का कहना है कि कश्मीर का मुद्दा सिर्फ और सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय विवाद है,जिसे दोनों देशों को आपसी संवाद और समझौते के आधार पर हल करना चाहिए। भारत ने पाकिस्तान से यह अपील की है कि वह कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मंच पर उठाकर विवाद को बढ़ाने की बजाय,इस मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से हल करने की दिशा में कदम बढ़ाए।

भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने भीतर आतंकवाद और आतंकवादियों की मदद करने की नीति को छोड़ देना चाहिए,ताकि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता स्थापित हो सके। भारत का यह मानना है कि पाकिस्तान का आतंकवाद को बढ़ावा देना और जम्मू और कश्मीर में दखलंदाजी करना दोनों देशों के लिए सिर्फ नुकसानदेह है और यह क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को खतरे में डालता है।

इस पूरी स्थिति को देखते हुए,भारत ने यह साफ कर दिया कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दावों को वह कभी स्वीकार नहीं करेगा और इस मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय बातचीत से ही होगा। भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाकर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश न करे। भारत ने यह भी बताया कि कश्मीर के लोग भारत के प्रति अपनी निष्ठा प्रदर्शित कर चुके हैं और अब इस मुद्दे पर जनमत संग्रह की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है।

इस प्रकार, भारत ने पाकिस्तान के हर प्रयास का मजबूती से जवाब देते हुए यह स्पष्ट किया कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।