काश पटेल (तस्वीर क्रेडिट@upwalebhiya)

भारतीय मूल के काश पटेल एफबीआई निदेशक बनने के प्रबल दावेदार

वाशिंगटन,19 फरवरी (युआईटीवी)- भारतीय मूल के काश पटेल अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के निदेशक बनने के एक कदम और करीब पहुँच गए हैं। अमेरिकी सीनेट ने उनके नामांकन पर चर्चा शुरू करने के लिए 48-45 के मतों से मंजूरी दी है,जिसके बाद अब 30 घंटे की चर्चा की उलटी गिनती शुरू हो गई है। यह चर्चा गुरुवार तक चलेगी और उसके बाद पटेल को अंतिम मंजूरी मिलने की संभावना है। यदि उनका नामांकन मंजूर हो जाता है,तो वे एफबीआई के निदेशक बनने वाले पहले भारतीय मूल के व्यक्ति होंगे।

44 वर्षीय काश पटेल का करियर विवादों से घिरा रहा है,लेकिन उन्होंने वाशिंगटन डीसी की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में उन्हें कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया था और उनकी नियुक्ति ट्रंप के सबसे विवादास्पद मंत्रिमंडल सदस्यों में से एक मानी जाती है। पटेल का नामांकन एफबीआई निदेशक के लिए किया गया है,जो अमेरिकी सरकार की एक महत्वपूर्ण खुफिया एजेंसी है और इसका नेतृत्व एक अत्यधिक संवेदनशील जिम्मेदारी है।

काश पटेल एक पूर्व पब्लिक डिफेंडर रहे हैं,जिन्होंने अपनी पेशेवर यात्रा की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। उनके पास अमेरिकी सरकार के विभिन्न पहलुओं में अनुभव है और उन्होंने कई उच्च स्तरीय सरकारी पदों पर कार्य किया है। हालाँकि,उनके नामांकन पर शुरू में कुछ विरोध हुआ था। रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सीनेटरों ने पटेल के नामांकन पर सवाल उठाए थे,लेकिन बाद में उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले का समर्थन किया। अन्य महत्वपूर्ण मंत्रियों और अधिकारियों की पुष्टि भी पार्टी-लाइन वोटिंग में हुई है,जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि पटेल को भी अपनी नियुक्ति में सफलता मिलेगी।

विशेष रूप से,ट्रंप प्रशासन के तहत काश पटेल को रक्षा विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में काम करने का अनुभव है। इसके अतिरिक्त,वे राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के उप निदेशक भी रहे हैं। इन भूमिकाओं में उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं,जो राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में चर्चा का विषय बनीं। इस दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण फैसले लिए,जिनकी वजह से उनका नाम बार-बार सुर्खियों में रहा।

एफबीआई के निदेशक के रूप में काश पटेल का नामांकन एक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 2021 में एफबीआई ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ एक गंभीर जाँच की थी,जिसमें उनके द्वारा वर्गीकृत दस्तावेजों के कथित दुरुपयोग और 2020 के चुनाव में जो बाइडेन की हार को पलटने के प्रयासों की जाँच की जा रही थी। इस संदर्भ में,पटेल की नियुक्ति को लेकर कई तरह के राजनीतिक तर्क दिए जा रहे हैं,खासकर ट्रंप के समर्पित समर्थकों और विपक्ष के बीच।

पटेल का नामांकन इस समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है,क्योंकि अमेरिकी राजनीति में यह एक प्रतीकात्मक कदम हो सकता है। यदि उनका नामांकन सीनेट द्वारा मंजूर हो जाता है,तो यह न केवल भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि अमेरिका में विभिन्न जातीयताओं और समुदायों के योगदान की अहमियत को भी रेखांकित करेगा। भारतीय मूल के किसी व्यक्ति का एफबीआई के जैसे महत्वपूर्ण पद पर काबिज होना एक ऐतिहासिक घटना होगी और यह समाज में विविधता और समावेशन के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।

हालाँकि,काश पटेल का नामांकन निश्चित रूप से राजनीतिक दलों के बीच विवादों का कारण बना है,लेकिन उनके समर्थन में खड़ा होना उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। यदि उन्हें अंतिम मंजूरी मिलती है,तो वे केवल भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए ही नहीं,बल्कि पूरे अमेरिकी समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं।

अब सबकी नजरें गुरुवार के अंतिम मतदान पर हैं,जो काश पटेल के एफबीआई निदेशक बनने का फैसला करेगा। उनके नामांकन पर अभी तक हुए मतदान और चर्चा को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पटेल की नियुक्ति के साथ एक नया अध्याय शुरू हो सकता है,जो अमेरिकी राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।