नई दिल्ली,29 अप्रैल (युआईटीवी)- इंडसइंड बैंक के डिप्टी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (डिप्टी सीईओ) अरुण खुराना ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बैंक ने इस बड़े घटनाक्रम की जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को दी है। खुराना का इस्तीफा ऐसे समय पर सामने आया है,जब बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गंभीर विसंगतियों का मामला उजागर हुआ है और और इसके वजह से बैंक को तकरीबन ₹1,960 करोड़ का नुकसान हुआ है।
अरुण खुराना ने अपने इस्तीफे का कारण पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा कि बैंक के डेरिवेटिव ट्रेडिंग में सामने आई गलत अकाउंटिंग और मुनाफा-नुकसान (पी एंड एल) पर असर उनकी इस्तीफे की मुख्य वजह है। उन्होंने लिखा कि, “हाल ही में कुछ दुखद घटनाएँ हुईं,जिसमें बैंक ने आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेडिंग में गलत हिसाब-किताब के कारण मुनाफा-नुकसान पर बुरा असर होने की बात मानी है। मैं,जो ट्रेजरी फ्रंट ऑफिस के काम की निगरानी कर रहा था और एक पूर्णकालिक निदेशक,डिप्टी सीईओ और वरिष्ठ प्रबंधन टीम का हिस्सा था,तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूँ।”
बैंक ने इस पूरे मामले की स्वतंत्र जाँच 20 मार्च को शुरू कराई थी,जो उस समय की गई जब बैंक ने डेरिवेटिव लेन-देन में विसंगतियों की जानकारी दी थी। प्रारंभिक अनुमान में ₹1,500 से ₹2,000 करोड़ के नुकसान की बात कही गई थी। बाद में पीडब्ल्यूसी द्वारा कराए गए बाहरी ऑडिट में यह नुकसान ₹1,979 करोड़ आँका गया। वहीं, स्वतंत्र जाँच में नुकसान ₹1,960 करोड़ बताया गया है।
बैंक ने यह भी कहा कि इस वित्तीय प्रभाव को वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही के नतीजों में समाहित किया जाएगा। साथ ही,बैंक के बोर्ड ने वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारियों के पुनर्गठन और बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
जाँच के दौरान बैंक ने उन प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर ली है,जो इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। इन पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। साथ ही,संगठनात्मक सुधार और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
अरुण खुराना का इस्तीफा इंडसइंड बैंक के लिए हाल के महीनों में दूसरी बड़ी विदाई है। इससे पहले जनवरी 2025 में बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) गोबिंद जैन ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था।
डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई इस भारी गड़बड़ी से इंडसइंड बैंक की साख और संचालन प्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। बैंक अब न केवल जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है,बल्कि जोखिम नियंत्रण,वित्तीय पारदर्शिता और आंतरिक ऑडिट प्रणाली को भी मजबूत करने की दिशा में सक्रिय है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि वित्तीय संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही की भूमिका बेहद अहम है और किसी भी लापरवाही से बड़े आर्थिक नुकसान और नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकते हैं।