प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@SonOfBharat7)

इजरायल: कैबिनेट ने सुरक्षा प्रमुख को हटाने का विरोध करने वाले अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को दी मंजूरी

यरूशलम,24 मार्च (युआईटीवी)- इजरायल के कैबिनेट ने सुरक्षा प्रमुख को हटाने का विरोध करने वाले देश के अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है,जिसे उनकी बर्खास्तगी की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा रहा है। एक सरकारी अधिकारी नेमीडिया को जानकारी दी कि मंत्रियों ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह कदम सरकार की कई कार्रवाइयों में से एक है, जिसे सरकार के आलोचकों ने राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा है।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के बीच शुक्रवार को शिन बेट सुरक्षा प्रमुख रोनेन बार को हटाने के सरकार के प्रयास को लेकर टकराव हुआ था। इस विवाद के कारण, हाई कोर्ट ने सरकार के इस बर्खास्तगी प्रयास को अस्थायी रूप से रोक दिया था। इसके बाद,बहारव-मियारा ने नेतन्याहू को बार को हटाने से रोकने के लिए एक निर्देश जारी किया।

इस फैसले के बाद,हजारों प्रदर्शनकारियों ने यरूशलम में बहारव-मियारा और बार को हटाने के सरकार के प्रयासों के खिलाफ रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस्तीफा देने की माँग की और सरकारी परिसर की ओर कूच किया। इन प्रदर्शनकारियों ने गाजा में बंधक बनाए गए लोगों की वापसी की माँग की, युद्ध को समाप्त करने की इच्छा जताई और सरकार के न्यायिक सुधार को रद्द करने की भी मांग की।

इजरायल सरकार के अंदर इस समय काफी विवाद चल रहा है और अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के पास यह अधिकार है कि वह तय करें कि वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए जाएँ या नहीं। इसके अलावा,यह भी तय करना उनके अधिकार क्षेत्र में है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे को आगे बढ़ाया जाए या नहीं।

वर्तमान में रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बहारव-मियारा ने हिस्सा नहीं लिया था,लेकिन उन्होंने मंत्रियों को एक पत्र लिखा। उन्होंनेइस पत्र में कहा कि, “सरकार खुद को कानून से ऊपर रखना चाहती है ” और साथ ही यह भी कहा कि अटॉर्नी जनरल का कार्यालय “बिना किसी डर” के अपने कर्तव्यों को पूरा करना जारी रखेगा। बहारव-मियारा के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे किसी भी दबाव के बावजूद अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बहारव-मियारा को बर्खास्त करने के प्रयास की तरह,रोनेन बार को हटाने के फैसले को भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। हालाँकि,यह अभी स्पष्ट नहीं है कि बर्खास्तगी प्रक्रिया में कितना समय लगेगा,क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। यह घटनाक्रम इजरायल की राजनीति में एक नए संकट का रूप लेता जा रहा है और यह दिखाता है कि देश के शासन में संघर्ष गहरा चुका है।

पिछले सप्ताह,कैबिनेट ने शिन बेट प्रमुख रोनेन बार की बर्खास्तगी को मंजूरी दी थी और इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस्तीफा देने की माँग की थी। इन प्रदर्शनकारियों ने अपने विरोध को और भी तीव्र कर दिया था और वे सरकारी परिसर की ओर कूच करने लगे थे। उनकी प्रमुख माँगों में युद्ध को समाप्त करना,गाजा में बंधक बनाए गए शेष लोगों की वापसी और सरकार के न्यायिक सुधार को रद्द करना शामिल था।

इस प्रकार,इजरायल में अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के खिलाफ चल रही राजनीतिक कार्रवाई को लेकर एक गहरी विवाद की स्थिति बन गई है। सरकार और अटॉर्नी जनरल के बीच यह टकराव देश की न्यायिक और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। इजरायल में अब यह देखना होगा कि क्या सरकार बहारव-मियारा को बर्खास्त करने में सफल होती है और इसके बाद क्या न्यायिक प्रणाली इस कदम को चुनौती देती है या नहीं।

इजरायल में न्यायिक सुधारों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है और बहारव-मियारा की बर्खास्तगी की प्रक्रिया इस विवाद को और बढ़ा सकती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या इजरायल की न्यायिक प्रणाली पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा और इसके परिणामस्वरूप क्या लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ेगा।

इजरायल की राजनीति में यह घटनाक्रम एक नए मोड़ की ओर इशारा करता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच यह संघर्ष किस दिशा में जाता है। अभी के लिए,इजरायल में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और यह राजनीतिक उथल-पुथल देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।