इसरो ने अंतरिक्ष में अपना 100वां मिशन किया लॉन्च

इसरो ने अंतरिक्ष में अपना 100वां मिशन लॉन्च कर रचा इतिहास,एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च

श्रीहरिकोटा,29 जनवरी (युआईटीवी)- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) ने बुधवार को श्रीहरिकोटा से अपने जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के माध्यम से एनवीएस-02 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह इसरो का 100वां प्रक्षेपण है। इस मिशन के सफल होने के साथ भारत ने अंतरिक्ष नेविगेशन में नई ऊँचाइयों को छुआ है। यह लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि इससे भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और क्षमता का एक नया आयाम स्थापित हुआ है।

जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट ने 6:23 बजे उड़ान भरी और सफलतापूर्वक एनवीएस-02 उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि “जीएसएलवी-एफ15 ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी और एनवीएस-02 को उसकी निर्धारित कक्षा में ले जाकर मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।” इसरो द्वारा किए गए इस सफल लॉन्च के बाद,अंतरिक्ष नेविगेशन में भारत की स्थिति और मजबूत हो गई है।

इसरो चेयरमैन,वी. नारायणन ने कहा कि यह मिशन इसरो की टीम की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए कहा, “हमने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। हमनें डॉकिंग सिस्टम की सफलता इस महीने की 16 तारीख को प्राप्त की थी और अब इसरो की 100वीं लॉन्चिंग के साथ हम अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि इस साल कई अन्य मिशनों के लिए मंजूरी मिल चुकी है और इसरो के अगले कदम में चंद्रयान 3,4 जैसी योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाना है।

जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट की यह उड़ान जीएसएलवी रॉकेट की 17वीं उड़ान थी और यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाली 11वीं उड़ान थी। यह इसरो की अत्याधुनिक तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है,जो स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक पर आधारित है। एनवीएस-02 उपग्रह भारतीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) का हिस्सा है,जो भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करता है।

एनवीएस-02 उपग्रह दूसरी पीढ़ी का नेविगेशन उपग्रह है और यह एल1,एल5 और एस-बैंड में नेविगेशन पेलोड के साथ सी-बैंड पेलोड से लैस है। यह उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप के उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति,वेग और समय सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके जरिए भारतीय भूमि से लगभग 1500 किलोमीटर दूर तक सटीक नेविगेशन सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

एनवीएस-02 उपग्रह एल1 फ्रीक्वेंसी बैंड को सपोर्ट करता है,जिससे इसकी सेवाओं और विश्वसनीयता में महत्वपूर्ण सुधार होगा। इस उपग्रह का वजन लगभग 2,250 किलोग्राम है और यह 3 किलोवाट की पावर को संभालने में सक्षम है। इसरो ने बताया कि एनवीएस-02 उपग्रह दो प्रकार की सेवाएँ जैसे- मानक पोजिशनिंग सेवा और प्रतिबंधित सेवा प्रदान करेगा। एनवीएस-02 उपग्रह की मानक पोजिशनिंग सेवा सेवा 20 मीटर से बेहतर स्थिति सटीकता और 40 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता प्रदान करेगी,जो उसे उच्चतम स्तर पर विश्वसनीय और सटीक बनाती है।

एनवीएस-02 उपग्रह की सफलता से भारतीय नेविगेशन प्रणाली को एक नई दिशा मिली है,जो आने वाले वर्षों में भारत को अंतरिक्ष में और भी मजबूत स्थिति में लाने में मदद करेगा। इस मिशन से न केवल भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत का प्रदर्शन हुआ है,बल्कि यह भारतीय उपग्रह प्रौद्योगिकी की सफलता और इसरो की प्रगति का प्रतीक भी है। इसरो के भविष्य के मिशनों के लिए यह सफलता एक प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करेगी और भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।