नई दिल्ली, 10 जून (युआईटीवी/आईएएनएस)- भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकास परियोजनाओं में सहायता प्रदान करेगी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में आधारभूत परियोजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन करने के लिए उपग्रह इमेजिंग और अन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों का सर्वोत्कृष्ट उपयोग करके इनमें योगदान देगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यह घोषणा की।
यह पूरे देश में यह अपने प्रकार का पहला मामला है, जहां पर विकास परियोजनाओं के लिए डाटा का मानचित्रण और आदान-प्रदान के लिए इसरो की संस्थागत भागीदारी हुई है और यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकता है।
इसरो द्वारा पहले से ही डोनर द्वारा वित्तपोषित सभी 8 राज्यों में 221 कार्यस्थलों पर 67 परियोजनाओं की निगरानी और जियो टैगिंग की जा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और इसरो के वैज्ञानिकों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में से छह राज्यों ने इसरो द्वारा कार्यान्वयन के लिए अपने विशिष्ट प्रस्ताव पहले ही भेज दिए हैं, जबकि शेष दो राज्य सिक्किम और असम जल्द ही अपने प्रस्ताव भेजेंगे।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार की मुख्य उपलब्धियों में से एक उपलब्धि यह भी रही है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब मुख्य रूप से उपग्रहों की प्रक्षेपण तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह विकास गतिविधियों में भी अपनी भूमिका को लगातार बढ़ा रहा है, इस प्रकार से यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्रांसफॉर्मिग इंडिया मिशन में योगदान दे रहा है।
पूर्वोत्तर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एनईएसएसी), शिलांग को पूर्वोत्तर राज्यों से कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके द्वारा अगले पखवाड़े में प्रत्येक राज्यों के साथ एक-एक करके ऐसी सभी परियोजनाओं की व्यवहार्यता और अनुकूलता पर चर्चा की जाएगी। एक बार पहचान कर लिए जाने के बाद, ऐसी सभी परियोजनाओं को संबंधित राज्यों और एनईएसएसी द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किए जाने की संभावना है।
मंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस वर्ष जनवरी में शिलांग का दौरा किया गया था और पूर्वोत्तर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एनईएसएसी) सोसायटी के साथ उनकी बैठक हुई थी, जिसमें बड़ी परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई थी।
उन्होंने कहा, कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं जिनका कार्य प्रगति पर है, उनमें वन क्षेत्रों का मानचित्रण, बागवानी विकास के लिए भूमि क्षेत्र का विस्तार, आद्र्रभूमि की पहचान एवं कायाकल्प और बाढ़ के पानी को मोड़ना, आजीविका की जरूरतों के लिए बांस के संसाधनों का आकलन शामिल है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि गृहमंत्री जुलाई में परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए केंद्र का दौरा फिर से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के गंभीर होने के बावजूद, इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बहुत प्रगति हुई है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग अब विविध क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे कि कृषि, रेलवे, सड़क और पुल, चिकित्सा प्रबंधन/टेलीमेडिसिन, उपयोगिता प्रमाणपत्र की समय पर प्राप्ति, आपदा पूवार्नुमान एवं प्रबंधन, मौसम/बारिश/बाढ़ को ले कर पूवार्नुमान आदि।
इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉ. जितेंद्र सिंह को बताया कि अरुणाचल प्रदेश में बांध निर्माण और बाढ़ अल्पीकरण, तीन मॉडल गांव, बागवानी और शून्य स्तर पर सीमा बाड़ लगाने जैसे क्षेत्रों की सात परियोजनाएं लगभग पूरी होने वाली हैं। अन्य राज्यों में भी ऐसी परियोजनाएं अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में अग्रसर हैं।
शिलांग में स्थित एनईएसएसी, अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संगठन है और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) को अपनी समर्पित सेवाएं प्रदान करता है जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे आठ राज्य शामिल हैं।
इस केंद्र की स्थापना प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, बुनियादी अवसंरचना वाली योजना, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आपातकालीन संचार, आपदा प्रबंधन सहायता और अंतरिक्ष एवं वायुमंडलीय विज्ञान अनुसंधान जैसे विषयों पर अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सहायता प्रदान करके भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने वाले एक दृष्टिकोण के साथ की गई थी।