मुंबई, 9 अगस्त (युआईटीवी/आईएएनएस)- भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया और पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीत लगभग चार दशक का सूखा खत्म किया। गत गुरूवार को मनप्रीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर हॉकी में कांस्य पदक जीता जो टीम का 41 वर्षों बाद ओलंपिक में पहला पदक है।
इसके एक दिन बाद ही रानी रामपाल के नेतृत्व वाली महिला टीम को ग्रेट ब्रिटेन के हाथों 3-2 से हार झेलनी पड़ी और वह पदक से मामूली अंतर से चूक गई।
ओलंपिक के शुरू होने पर विशेषज्ञों का मानना था कि पुरुष टीम आसानी से क्वार्टर फाइनल में पहुंचेगी और इसके बाद इस बात पर निर्भर करेगा कि उसे अंतिम-8 में किस टीम के खिलाफ खेलना है। हॉकी के भारी प्रशंसकों को भी यह विश्वास नहीं था कि महिला और पुरुष टीम सेमीफाइनल में पहुंचेंगे और पुरुष टीम कांस्य पदक लाएगी।
टोक्यो ओलंपिक का समापन हो चुका है और अब समय है कि इस सफलता को आगे भी जारी रखा जाएगा।
1984 ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले जोअक्वीइम कारवाल्हो ने आईएएनएस से कहा, “ऐसी चार चीजें हैं जिसपर सफलता हासिल करने के लिए जल्द ही ध्यान देने की जरूरत है। पहला खिलाड़ियों की सप्लाई लाइन में सुधार करना, सब जूनियर लेवल से ही राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग सुविधा देना और एक्सपोजर ट्रिप देना।”
उन्होंने कहा, “हॉकी इंडिया को घरेलू इंफ्रास्ट्रकचर को मजबूत करने की भी जरूरत है। उन्हें राष्ट्रीय टीम को मिलने वाली सुविधा देनी होगी जिससे हमारे पास अच्छे खिलाड़ियों का मेल रहे।”
उनके अनुसार, हॉकी इंडिया को निजी पार्टियों द्वारा संचालित अखिल भारतीय टूनार्मेंट संरचना को मजबूत करना चाहिए।
कारवाल्हो ने कहा, “हम सिर्फ साई और खेल मंत्रालय पर ही फंड के लिए क्यों निर्भर हैं। खेल को काफी ध्यान मिल रहा और अब जरूरत है कि हम खेलों में पैसा लगाएं।”
एक चीज स्पष्ट है कि खिलाड़ियों ने अपना काम बखूबी किया है। यह अब प्रशासकों पर है कि वे चीजों को सुधारें और यह सुनिश्चित करें कि ओलंपिक में अगले पदक के लिए और चार दशकों का इंतजार नहीं करना पड़े।