he police had driven away the Dalit youth who had come to plead to save his life, the same day the dacoits killed and hung the body in a pillar.

झारखंड : हत्या से पहले दलित युवक ने मांगी थी पुलिस से मदद

रांची, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)| झारखंड के हजारीबाग जिले में सोमवार-मंगलवार की रात सीटन भुइयां नामक जिस दलित युवक की घर से किडनैप कर हत्या के बाद लाश बिजली के खंभे पर लटका दी गई थी, उसने वारदात के कुछ घंटे पहले ही पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपनी जान की हिफाजत की गुहार लगाई थी। आरोप है कि थाने की पुलिस ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई के बजाय उसे फटकार कर भगा दिया। इसके बाद सीटन ने उसी दिन हजारीबाग जिला मुख्यालय जाकर एससी-एसटी थाने में गांव के दबंगों के खिलाफ लिखित कंप्लेन की भी थी। पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई एक्शन लेने की जरूरत नहीं समझी और उसी रात आठ-दस दबंगों ने पूरी प्लानिंग के साथ इस वारदात को अंजाम दिया। इस वारदात का आरोप गांव के जिन दस लोगों पर है, उन्हें 24 घंटे बाद भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। इसे लेकर जहां गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है, वहीं विपक्षी दलों ने वारदात को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।

बता दें कि यह वारदात हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र अंतर्गत पचड़ा गांव की है। दलित समुदाय के सीटन भुइयां ने कुछ दिन पहले अपने परिवार की एक महिला के साथ गांव के एक युवक के कथित अवैध रिश्ते पर विरोध जताया था। इसे लेकर मारपीट की घटना भी हुई थी। इसके बाद से ही उसे जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। बीते सोमवार को हजारीबाग एससी-एसटी थाने को दिये गये लिखित कंप्लेन में उसने घटनाओं की जानकारी देते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई थी। इसमें उसने गांव के शंकर साव, विश्वनाथ साव, जनार्दन साव और संजय साव से अपनी जान को खतरा बताया था।

सीटन भुइयां की पत्नी पारो देवी ने पुलिस को बताया कि 10 अक्टूबर की रात लगभग 10 बजे आठ-दस लोग अचानक उसके घर पहुंचे और उसके पति सीटन भुइयां को जबरन अपने साथ ले गये। घर में घुसे लोगों ने पारो देवी और उसके चारों बच्चों को कमरे में बंद कर दिया। उन्होंने शोर मचाया, लेकिन गांव में बज रहे डीजे के तेज शोर के चलते उनकी आवाज घर के बाहर नहीं पहुंच पाई। सुबह लाश बिजली खंभे से लटकी मिली। लाश सीटन भुइयां की कमीज से बांधकर खंभे से लटकाई गई थी। पारो देवी ने अपने देवर सिकंदर भुइयां और गोतनी सीमा देवी को भी आरोपी बनाया है।

इधर, इस वारदात पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य की सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने ट्विट कर कहा है कि खुद को आदिवासी और दलित का हितैषी बताने वाली इस सरकार के कार्यकाल में कितने आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार हुए है ये आज किसी से छिपा नहीं है। झारखंड पुलिस की असंवेदनशीलता और टालमटोल की नीति अपराध की आशंकाओं के बावजूद उसे रोक पाने में असफल रहती है।

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