जेपी नड्डा

जून, 2024 तक जेपी नड्डा बने रहेंगे अध्यक्ष,पार्टी संविधान में बड़ा बदलाव हुआ

नई दिल्ली,19 फरवरी (युआईटीवी)- जून,2024 तक जेपी नड्डा पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे। नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर पिछले वर्ष पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जो निर्णय लिया गया था,राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक में उस निर्णय पर मुहर लगा दी गई है। पार्टी ने जून,2024 तक जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला पिछले वर्ष ही लोकसभा चुनाव को देखते हुए लिया था।

पिछले वर्ष जनवरी 2023 में पार्टी के संसदीय बोर्ड के फैसले के बाद भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में हुई। इस बैठक में जेपी नड्डा के अध्यक्षीय कार्यकाल को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जून,2024 तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। अब भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले को पार्टी संविधान के नियमों का पालन करते हुए राष्ट्रीय अधिवेशन ने भी अनुमोदित कर दिया है।

इसके साथ ही बैठक में पार्टी के संविधान में भी संशोधन किया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड को पार्टी के संविधान में संशोधन कर और अधिक शक्तिशाली बना दिया गया है। पार्टी संविधान के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक के दूसरे और अंतिम दिन भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने पेश किया और इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। पार्टी संविधान में भाजपा ने संशोधन करते हुए अब पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई संसदीय बोर्ड को आपात स्थिति में पार्टी अध्यक्ष से संबंधित फैसला लेने की शक्ति दे दी है।

पार्टी के संविधान में किए गए संशोधन के मुताबिक,राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने का निर्णय पार्टी का संसदीय बोर्ड ले सकता है,जो भी फैसला लिया जाएगा वह परिस्थिति के अनुसार होगा। संशोधन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकार दिया गया है कि वह संसदीय बोर्ड में कोई भी नया सदस्य बना या हटा सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसलों को संसदीय बोर्ड की बैठक में मंजूरी (अनुमोदन) के लिए रखा जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड की शक्तियों को भाजपा का संविधान संशोधन कर बढ़ाया गया है।

भाजपा का संविधान संशोधन कर स्पष्ट रूप से पार्टी अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड की शक्तियों को तो बढ़ाया गया है,लेकिन अभी तक यह उजागर नहीं हुआ है कि किसी नेता को संसदीय बोर्ड दो ही बार अध्यक्ष बना सकती है या उससे अधिक बार भी अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है।

पार्टी में अब तक जो नियम चले आ रहे हैं उसके अनुसार,एक निर्वाचक मंडल द्वारा पार्टी अध्यक्ष का चयन किया जाता है, जिसमें प्रदेश परिषद और राष्ट्रीय परिषद के सभी सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन इससे पूर्व पार्टी को चुनाव की लंबी प्रक्रिया जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक से गुजरना पड़ता हैं। पुराने नियमों में एक शर्त थी कि कोई भी नेता पूरे कार्यकाल के लिए सिर्फ दो ही बार लगातार अध्यक्ष चुना जा सकता है,उससे अधिक बार नहीं।

पार्टी संविधान की धारा-19 के मुताबिक, वही व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकेगा जो कम-से-कम चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य और कम-से-कम 15 वर्ष तक प्राथमिक सदस्य रहा हो। जो व्यक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की अर्हता रखते हैं,उनके नाम का संयुक्त प्रस्ताव निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य कर सकेंगे। जहाँ राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हैं,वैसे कम-से-कम पाँच प्रदेशों से यह संयुक्त प्रस्ताव आना जरूरी है। नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति जरूरी है।

 

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