ओटावा,21 दिसंबर (युआईटीवी)- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। जैसे ही वह एक समस्या से उबरने की कोशिश करते हैं, उन्हें अगला झटका लग जाता है। हाल ही में कनाडा की उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के मंत्रिमंडल से इस्तीफे ने ट्रूडो के लिए और भी जटिलताएँ उत्पन्न कर दीं। इससे उबरने से पहले ही उन्हें एक और बड़ा झटका तब लगा जब न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता और खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह ने उन्हें इस्तीफा देने की सार्वजनिक माँग कर डाली।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने कनाडाई लोगों के लिए सोशल मीडिया पर एक पत्र पोस्ट कर बताया कि 27 जनवरी से शुरू होने वाली हाउस ऑफ कॉमन्स की अगली बैठक में उनकी पार्टी ट्रूडो सरकार को गिराने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
जगमीत सिंह ने कहा कि क्रिस्टिया फ्रीलैंड के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री ट्रूडो को भी इस्तीफा दे देना चाहिए। हालाँकि,उन्होंने यह नहीं कहा कि उनकी पार्टी अल्पमत सरकार को अपना समर्थन बंद कर देगी या वे चुनाव की माँग करेंगे,लेकिन इस बयान ने ट्रूडो की मुश्किलें और बढ़ा दीं। सिंह ने प्रधानमंत्री ट्रूडो पर कई गंभीर आरोप लगाए और उनके नेतृत्व को चुनौती दी। उनका कहना था कि कनाडा के लोग जीवन यापन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं,जैसे कि महँगाई,किफायती आवास की कमी और रोजगार संकट। इसके अलावा,ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी से कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी संकट मंडरा रहा है।
Today, I am calling on Justin Trudeau to resign.
Liberals are fighting themselves – when Canadians need a Prime Minister who will fight for them. pic.twitter.com/1zebsMovqh
— Jagmeet Singh (@theJagmeetSingh) December 16, 2024
कनाडा की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक,प्रधानमंत्री ट्रूडो अब इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं। सीटीवी न्यूज के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट को यह जानकारी दी है कि वह इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं और जल्द-ही संसद को संबोधित करने की योजना बना सकते हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या ट्रूडो सचमुच इस्तीफा देंगे।
जगमीत सिंह ने ट्रूडो पर कई सवाल उठाए और कहा,”कनाडा के नागरिकों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किराने का सामान खरीदना अब लोगों के लिए मुश्किल हो गया है,खासकर युवा लोगों को किफायती आवास मिलना एक बड़ा चुनौती बन चुका है। इसके अलावा,अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने से कनाडा में सैकड़ों हजारों नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।” सिंह का आरोप है कि प्रधानमंत्री इन महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के बजाय अपनी पार्टी के अंदर चल रही लड़ाई को लेकर परेशान हैं। उनके अनुसार,यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रूडो प्रधानमंत्री पद पर बने नहीं रह सकते।
यह स्थिति ट्रूडो के लिए और भी गंभीर हो गई है,क्योंकि वह इस समय अपनी कुर्सी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है और अब उनकी पार्टी में भी आंतरिक असंतोष बढ़ता जा रहा है। इस समय,ट्रूडो की कुर्सी पर खतरे की घंटी बज रही है और उन्हें यह महसूस हो गया है कि उनका नेतृत्व अब लंबे समय तक जारी नहीं रह सकता। सूत्रों के मुताबिक,ट्रूडो अब अपनी राजनीतिक रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि क्या वह इस्तीफा देने का निर्णय लेंगे या नहीं।
इसके अलावा,अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने आगामी प्रशासन में कनाडा पर टैक्स बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। ट्रंप का यह ऐलान कनाडा के लिए एक और बड़ी समस्या साबित हो सकता है,क्योंकि इससे कनाडा के निर्यात और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस ऐलान ने ट्रूडो की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है,क्योंकि उनकी सरकार के लिए यह एक नया आर्थिक संकट पैदा हो सकता है।
ट्रूडो के खिलाफ उठते इन सवालों और उनके इस्तीफे की माँग से यह साफ हो गया है कि कनाडा में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है। हालाँकि,अभी तक प्रधानमंत्री ने इस बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है,लेकिन उनके इस्तीफे की संभावना को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इस स्थिति में,यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रूडो अपने पद पर बने रहते हैं या फिर अपने इस्तीफे का फैसला करते हैं।
कनाडा की राजनीति में यह संकट केवल प्रधानमंत्री के लिए नहीं,बल्कि पूरी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट के बीच,ट्रूडो को अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करनी होगी। उनके लिए यह समय अपने राजनीतिक विकल्पों पर गहराई से विचार करने का है,क्योंकि विपक्ष का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है और उनके समर्थकों में भी असंतोष फैल रहा है।
अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं,तो यह कनाडा के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है,जो सरकार की स्थिरता और भविष्य की दिशा पर गहरा प्रभाव डालेगा।