अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड और ट्रंप काश पटेल (तस्वीर क्रेडिट@AnilYadavmedia1)

भारतीय मूल के काश पटेल बने एफबीआई निदेशक,अमेरिकी सीनेट से मिली मंजूरी,अमेरिका के दुश्मनों को दी सख्त चेतावनी

वाशिंगटन,21 फरवरी (युआईटीवी)- भारतीय-अमेरिकी काश पटेल को अमेरिका की शीर्ष जाँच एजेंसी,संघीय जाँच ब्यूरो (एफबीआई) का निदेशक नियुक्त किया गया है। इस पद पर पहुँचने वाले वह पहले भारतीय मूल के व्यक्ति हैं,जो उनके करियर और भारतवंशी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस नियुक्ति ने उन्हें एक ऐतिहासिक पहचान दिलाई है,जिससे भारतीय समुदाय में गर्व की भावना पैदा हुई है। पटेल की नियुक्ति का स्वागत भले ही कुछ लोगों ने किया हो,लेकिन उनके नामांकन के दौरान यह मुद्दा विवाद का कारण भी बना।

काश पटेल ने अपनी नियुक्ति के बाद अमेरिका के दुश्मनों को सख्त चेतावनी दी और उन्होंने कहा कि, “हम इस ग्रह के हर कोने में तुम्हारा पीछा करेंगे।” उनके इस बयान से उनकी कठोरता और निष्ठा का स्पष्ट संकेत मिलता है,जो सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह बयान एफबीआई के एक निदेशक के रूप में उनकी दृढ़ संकल्प और ठान लेने वाली नेतृत्व शैली को प्रदर्शित करता है।

अमेरिकी सीनेट ने 51-49 के मामूली बहुमत से काश पटेल को एफबीआई निदेशक के रूप में मंजूरी दी। हालाँकि,यह प्रक्रिया काफी विवादास्पद रही। डेमोक्रेट्स ने उनके नामांकन का कड़ा विरोध किया,जबकि दो रिपब्लिकन सीनेटर,लिसा मुर्कोव्स्की और सुसान कोलिन्स ने भी उनके खिलाफ वोट दिया। कोलिन्स ने कहा कि पटेल ने एफबीआई की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे,जो उनके नेतृत्व की क्षमता पर संदेह उत्पन्न करता है। यह आलोचना उन पर सवाल उठाने वाले तत्वों को दर्शाती है,जो उनके नेतृत्व की निष्पक्षता और कार्यशैली को लेकर संकोच करते हैं।

काश पटेल ने इस पद से दो साल पहले इस्तीफा दे चुके क्रिस्टोफर रे की जगह इस पद को संभाला है। एफबीआई निदेशक का कार्यकाल 10 साल का होता है,लेकिन पटेल के दो पूर्ववर्तियों का कार्यकाल समय से पहले ही समाप्त हो गया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में जेम्स कॉमी को उनके कार्यकाल के चार साल बाद ही हटा दिया था,जिससे यह पद विशेष रूप से विवादास्पद बना हुआ था। काश पटेल का कार्यकाल भी कई निगाहों में रहेगा,क्योंकि वह एफबीआई के प्रमुख के रूप में नए दृष्टिकोण और निर्णयों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

काश पटेल ने निदेशक पद संभालने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पहली पोस्ट कर कहा कि, “एफबीआई की एक महान विरासत है, लेकिन हाल के वर्षों में न्याय प्रणाली के राजनीतिकरण ने जनता के भरोसे को कमजोर किया है। अब यह खत्म होगा।”उनके इस पोस्ट से स्पष्ट होता है कि वह एफबीआई को फिर से पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका यह बयान एफबीआई के भीतर सुधार की दिशा में उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है, साथ ही उनकी प्राथमिकता यह है कि जनता का विश्वास फिर से बहाल किया जाए।

पटेल के नामांकन को लेकर काफी विवाद हुआ था। उनके आलोचकों का मानना है कि एफबीआई को लेकर उन्होंने कई राजनीतिक बयान दिए हैं,जो इस एजेंसी की निष्पक्षता के लिए खतरे का संकेत हो सकते हैं। हालाँकि,ट्रंप समर्थकों और कई रिपब्लिकन नेताओं ने उनका समर्थन किया है। यह मामला राजनीतिक विभाजन और विचारधाराओं के संघर्ष का भी प्रतीक है,क्योंकि पटेल का नामांकन इस सवाल का केंद्र बन गया था कि क्या एफबीआई को राजनीतिक दखल से बचाए रखना चाहिए या नहीं।

काश पटेल एक वकील रह चुके हैं और पूर्व में वे पब्लिक डिफेंडर के रूप में काम कर चुके हैं। इसके अलावा,उन्होंने ट्रंप प्रशासन में रक्षा विभाग के चीफ ऑफ स्टाफ और राष्ट्रीय खुफिया विभाग के उप निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनका यह अनुभव उन्हें एफबीआई निदेशक के पद पर एक सक्षम नेता के रूप में स्थापित करता है। उनके ट्रंप प्रशासन से जुड़ाव के कारण,उनकी नियुक्ति ट्रंप के लिए भी एक अहम राजनीतिक संकेत माना जा रहा है,क्योंकि वह अपने दूसरे कार्यकाल के लिए कई बड़े बदलाव कर रहे हैं।

पटेल ने अपने बयान में यह भी कहा कि एफबीआई में सुधार लाने और इसे एक मजबूत संगठन बनाने के लिए वह पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “मेरा मिशन स्पष्ट है – अच्छे पुलिसकर्मियों को उनका काम करने देना और एफबीआई में विश्वास बहाल करना।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि उनका लक्ष्य एजेंसी की कार्यप्रणाली में सुधार करना और एफबीआई को एक ऐसी संस्था बनाना है,जो जनता का विश्वास और समर्थन हासिल कर सके।

काश पटेल की नियुक्ति एक नए युग की शुरुआत हो सकती है,जिसमें एफबीआई अपने पुराने और समृद्ध इतिहास से आगे बढ़कर न केवल आतंकवाद और अपराध से जूझेगी,बल्कि एक पारदर्शी,जवाबदेह और निष्पक्ष संस्था के रूप में खुद को स्थापित करेगी। उनके नेतृत्व में एफबीआई को फिर से दुनिया भर में एक मजबूत और प्रभावशाली एजेंसी के रूप में देखा जा सकता है।