नई दिल्ली,2 जनवरी (युआईटीवी)- अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को चादर सौंपेंगे और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हर साल मनाए जाने वाले उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण पहल करेंगे। इस चादर को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू खुद अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जाएँगे। यह 11वीं बार है,जब प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अजमेर दरगाह में चादर भेजी जाएगी।
इस आयोजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में दरगाह से जुड़े विभिन्न पक्षों को चादर सौंपेंगे और इसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली से अजमेर के लिए रवाना होगा। इस आयोजन की तैयारियों को लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अपने कामों को गति दी है और दरगाह कमेटी,दरगाह दीवान,अंजुमन सैयद जादगान जैसे संगठनों से भी इस आयोजन के लिए नाम माँगे गए हैं।
बुधवार को चाँद दिखने के साथ राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स की शुरुआत हो गई है। इस मौके पर सूफी फाउंडेशन के चेयरमैन और अजमेर दरगाह के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने सभी को मुबारकबाद दी। हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने आईएएनएस को बात करते हुए बताया कि, “गरीब नवाज का सालाना उर्स बुधवार से चाँद दिखने के साथ शुरू हो गया है।” उन्होंने सभी से दरगाह की खिदमत की दुआ माँगी और इस अवसर पर उर्स की मुबारकबाद दी।
Met a Muslim community delegation. During our interaction, I presented the sacred Chadar, which will be placed during the Urs of Khwaja Moinuddin Chishti at the esteemed Ajmer Sharif Dargah. pic.twitter.com/eqWIKy7VQ1
— Narendra Modi (@narendramodi) January 11, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चादर भेजने का सिलसिला पिछले 10 साल से जारी है। हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि “यह परंपरा देश की आजादी 1947 के समय से चली आ रही है। हर साल जो भी देश का प्रधानमंत्री होता है,वह दरगाह में चादर भेजने के साथ-साथ देश के नाम संदेश भी भेजता है,जिसमें अमन-चैन और भाईचारे की दुआ की जाती है।” यह परंपरा न केवल भारत में भाईचारे और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देती है,बल्कि यह सूफी दरगाहों की अहमियत को भी दर्शाती है,जो सभी धर्मों के बीच सद्भावना और शांति को बढ़ावा देती हैं।
बीते साल के अंत में उर्स के अवसर पर अजमेर दरगाह पर झंडे की रस्म भी अदा की गई थी, जो 28 दिसंबर 2024 को संपन्न हुई। यह रस्म भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा पूरी की जाती है। गौरी परिवार के अनुसार,यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। साल 1928 में फखरुद्दीन गौरी के पीर-मुर्शिद अब्दुल सत्तार बादशाह ने इस रस्म की शुरुआत की थी। इसके बाद 1944 से उनके दादा लाल मोहम्मद गौरी को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। उनके निधन के बाद,साल 1991 से उनके बेटे मोईनुद्दीन गौरी ने इस रस्म को निभाया और साल 2007 से उनका पोता फखरुद्दीन गौरी इस रस्म को अदा कर रहा है।
यह सबूत है कि अजमेर दरगाह और इसके आस-पास के क्षेत्रों में यह परंपराएँ और रस्में कितनी गहरी और महत्वपूर्ण हैं। उर्स के मौके पर चादर भेजने की यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है,बल्कि यह समाज में प्रेम,शांति और एकता के संदेश को भी फैलाती है। पीएम मोदी द्वारा चादर भेजने का यह सिलसिला इस भावना को और भी सशक्त बनाता है,जिससे देश भर में लोगों के ,मध्य भाईचारे का माहौल बनता है।
अजमेर दरगाह के उर्स की यह परंपरा न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है,बल्कि यह पूरे देश में एकता और धर्मनिरपेक्षता की मिसाल पेश करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चादर भेजने की परंपरा ने इसे और भी विशिष्ट बना दिया है और इससे यह संदेश मिलता है कि भारत में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है और सभी को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास किया जाता है।