कुणाल कामरा (तस्वीर क्रेडिट@sauravyadav1133)

कुणाल कामरा ने शिंदे पर ‘जोक’ विवाद में दी अपनी पहली प्रतिक्रिया,कहा- ‘न डरूँगा,न छिपूँगा’

मुंबई,25 मार्च (युआईटीवी)- स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष करने को लेकर हुए विवाद में अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस विवाद का कारण था एकनाथ शिंदे पर किया गया एक चुटकुला (जोक),जिसे लेकर शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई के एक स्टूडियो में तोड़फोड़ की थी। इस पूरे घटनाक्रम पर अब कुणाल कामरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया दी है,जिसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव किया और सार्वजनिक व्यक्तियों पर चुटकुले बनाने के अपने अधिकार को बनाए रखने की बात की।

कुणाल कामरा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ शक्तिशाली लोगों की सराहना करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि एक कॉमेडियन का काम ही किसी भी व्यक्ति,खासकर सार्वजनिक व्यक्तियों पर चुटकुले बनाना होता है और यह अधिकार कभी भी बदलने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी माँगने से इंकार करते हैं। इसके साथ ही,उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई कानूनी कार्रवाई होती है,तो वह पुलिस के साथ पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक को बचाने की एक मजबूत कोशिश प्रतीत हुआ।

कुणाल कामरा के इस बयान के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया ने मामला और गरमा दिया। इन कार्यकर्ताओं ने मुंबई स्थित हैबिटेट कॉमेडी क्लब में तोड़फोड़ की,जहाँ कुणाल कामरा ने अपना कॉमेडी शो रिकॉर्ड किया था। इस हमले के बाद हैबिटेट कॉमेडी क्लब ने अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की। इस हमले में कॉमेडी क्लब की संपत्ति को नुकसान पहुँचा और इस घटना के बाद से ही यह पूरा विवाद सुर्खियों में है। इसके अतिरिक्त,कुणाल कामरा के खिलाफ पहले ही एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है,जो इस विवाद को और अधिक जटिल बना देती है।

कामरा ने इस हमले के बारे में बात करते हुए कहा कि एंटरटेनमेंट वेन्यू सिर्फ एक मंच होता है और यह हर प्रकार के शो के लिए खुला होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हैबिटेट (या कोई और वेन्यू) उनकी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है और न ही वह यह नियंत्रित कर सकते हैं कि वह क्या कहें या करें और न ही कोई राजनीतिक पार्टी इसका नियंत्रण कर सकती है। कामरा ने इस हमले की तुलना एक ऐसी मूर्खता से की जैसे कि किसी ने बटर चिकन से नाखुश होकर टमाटर से भरी एक लॉरी पलट दी हो। उनका कहना था कि सार्वजनिक व्यक्तियों पर हमले करना उतना ही बेवकूफी है,जितना किसी की पसंदीदा डिश पर गुस्सा करना।

कुणाल कामरा ने राजनीतिक नेताओं की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारी बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों की सराहना करने के लिए नहीं होना चाहिए,जैसा कि आजकल का मीडिया सिखाने की कोशिश करता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक शक्तिशाली सार्वजनिक व्यक्ति की कीमत पर मजाक को बर्दाश्त न कर पाने की क्षमता उनके अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकती। कामरा ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि नेताओं और राजनीतिक तंत्र पर हँसी उड़ाना किसी भी तरह से कानून के खिलाफ नहीं है।

इसके साथ ही, कुणाल कामरा ने यह भी दोहराया कि वह पुलिस और अदालतों के साथ पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हैं,लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कानून उन लोगों के खिलाफ समान रूप से लागू होगा,जिन्होंने हैबिटेट में तोड़फोड़ की। उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई के गैर-निर्वाचित बीएमसी अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के हैबिटेट के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया, जिससे विवाद और बढ़ गया। उनका यह बयान इस बात को साफ करता है कि वह किसी भी गलत कार्य के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार हैं,चाहे वह राजनीति से संबंधित हो या अन्य किसी कारण से।

कुणाल कामरा ने मजाकिया अंदाज में यह भी कहा कि अगली बार जब वह नया वेन्यू चुनेंगे,तो शायद वह एल्फिंस्टोन ब्रिज या मुंबई के किसी और ढाँचे को चुनेंगे,जिन्हें जल्द ही ध्वस्त करने की आवश्यकता होती है। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि कामरा किसी भी धमकी और दबाव के बावजूद अपनी शैली और अभिव्यक्ति को जारी रखने के लिए तैयार हैं।

इसके अतिरिक्त,कामरा ने यह भी बताया कि उनके फोन नंबर को लीक करने और उन्हें परेशान करने वाले लोगों के बारे में उन्होंने कहा, “जो लोग मेरा नंबर लीक कर रहे हैं या मुझे लगातार कॉल कर रहे हैं,मुझे यकीन है कि अब तक आपने समझ लिया होगा कि सारे अनजान कॉल मेरी वॉयसमेल पर जाते हैं,जहाँ आप उस गाने का सामना करेंगे,जिससे आप नफरत करते हैं।” इस बयान से साफ हो जाता है कि कामरा ने अपनी सुरक्षा और मानसिक शांति के लिए कदम उठाए हैं और वह किसी भी प्रकार के उत्पीड़न से नहीं डरते।

गौरतलब है कि कुणाल कामरा ने अपने स्टैंड-अप शो के दौरान एकनाथ शिंदे पर जोक किया था। उन्होंने शिंदे पर तंज कसते हुए उन्हें ‘गद्दार’ कह दिया था। इस जोक के बाद शिवसेना कार्यकर्ता नाराज हो गए और मुंबई के उस स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहाँ कुणाल कामरा ने अपना शो रिकॉर्ड किया था। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक दबावों के बीच चल रहे संघर्ष को उजागर किया है।

इस विवाद ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या मीडिया और समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सही तरीके से समझा और सम्मानित किया जा रहा है या फिर यह केवल शक्तिशाली लोगों और राजनीतिक नेताओं तक सीमित हो कर रह गया है। कुणाल कामरा का यह मामला इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह राजनीतिक दबावों और धमकियों के बावजूद अपनी आवाज को उठाने की आवश्यकता को सामने लाता है।