मुंबई,27 मार्च (युआईटीवी)- स्टैंड-अप कमीडियन कुणाल कामरा की मुसीबतें अब बढ़ती जा रही हैं। मुंबई के खार पुलिस ने उन्हें 31 मार्च को पूछताछ के लिए हाजिर होने का समन भेजा है। खार पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के अनुसार,कुणाल कामरा वकील के माध्यम से पुलिस के संपर्क में हैं। इससे पहले जब समन जारी किया गया था,तो कुणाल ने 2 अप्रैल तक का समय माँगा था,लेकिन पुलिस ने उनकी इस माँग को अस्वीकार करते हुए उन्हें 31 मार्च,सुबह 11 बजे तक पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा है।
पुलिस ने बताया कि पहले समन जारी होने के बाद,कामरा को मंगलवार को 11 बजे पेश होने के लिए कहा गया था,लेकिन वह पेश नहीं हुए और एक हफ्ते का समय माँगा। उनकी इस माँग को पुलिस ने खारिज कर दिया और बुधवार को उन्हें नया समन भेजा। खार पुलिस ने हैबिटेट स्टूडियो से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया। इस मामले से संबंधित लोगों से पूछताछ अभी भी जारी है।
कुणाल कामरा ने मंगलवार को पुलिस के सामने पेश न होने के बारे में बात करते हुए मीडिया की बताया कि वह इस समय मुंबई से बाहर हैं,जिसके कारण वह पुलिस के सामने उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि वह मुंबई आकर पुलिस के सामने पेश होने के लिए एक हफ्ते का समय चाहते हैं। खार पुलिस ने मंगलवार को ही उन्हें समन भेजा था,लेकिन जब वह घर पर नहीं मिले,तो समन व्हाट्सएप के जरिए भी भेजा गया। समन में उन्हें सुबह 11 बजे जाँच अधिकारी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया गया था। पुलिस की एक टीम उनके घर भी गई और उनके माता-पिता को समन की एक प्रति दी।
इंस्टाग्राम पर कुणाल कामरा ने एक पोस्ट शेयर कर हैबिटेट क्लब में हुई तोड़फोड़ की निंदा करते हुए कहा था कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं माँगेंगे। स्टैंड-अप कमीडियन कुणाल कामरा इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था कि, “हैबिटेट केवल एक मंच है,सभी प्रकार के शो के लिए यह एक जगह है। मेरी कॉमेडी के लिए हैबिटेट (या कोई अन्य स्थल) जिम्मेदार नहीं है,न ही उसके पास इस बात पर कोई नियंत्रण है कि मैं क्या कहता या करता हूँ। न ही कोई राजनीतिक दल ऐसा करता है।”
आगे उन्होंने लिखा कि, “किसी कॉमेडियन द्वारा कहे गए शब्दों के लिए किसी आयोजन स्थल पर हमला करना उतना ही मूर्खतापूर्ण है,जितना टमाटर ले जा रही एक ट्रक को इसलिए पलट देना,क्योंकि परोसा गया बटर चिकन आपको पसंद नहीं आया।” इस पोस्ट के माध्यम से कामरा ने अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की और इसे एक कलाकार के अधिकार के रूप में प्रस्तुत किया।
कामरा ने उन्हें मिल रही धमकियों के बारे में बात करते हुए कहा कि, “भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का उपयोग केवल शक्तिशाली और अमीर लोगों की चापलूसी करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए,भले ही आज का मीडिया हमें इसके विपरीत विश्वास दिलाए।” उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने खिलाफ की गई किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस और अदालत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
कुणाल कामरा पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर बिना नाम लिए विवादित टिप्पणी की थी। कामरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक पैरोडी सॉन्ग अपलोड किया था,जिसमें ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल शिवसेना प्रमुख के लिए किया गया था। इस टिप्पणी को लेकर एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी शिवसेना के समर्थकों द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी।
यह मामला राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन गया है,क्योंकि कामरा की इस टिप्पणी ने राज्य सरकार के साथ उनके रिश्तों को और भी जटिल कर दिया है। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग की गई थी और अंततः पुलिस ने इस मामले में समन जारी किया। पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आक्रमण है या फिर यह एक जरूरी कानूनी प्रक्रिया है।
कुणाल कामरा पहले भी विवादों में रह चुके हैं। वह अपनी सोशल मीडिया गतिविधियों और स्टैंड-अप शो के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उनका हँसी -मजाक और राजनीतिक टिप्पणियाँ हमेशा ही विवादों को जन्म देती हैं। हालाँकि, उन्होंने बार-बार यह कहा है कि वह एक कॉमेडियन हैं और उनका काम सिर्फ लोगों को हँसाना और सामाजिक मुद्दों पर बात करना है। उनका मानना है कि कॉमेडी एक ऐसी कला है,जिसके माध्यम से समाज की समस्याओं पर प्रकाश डाला जा सकता है।
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या राजनीतिक विचारधारा के आधार पर किसी कलाकार को अपनी अभिव्यक्ति से वंचित किया जा सकता है। क्या यह केवल एक व्यक्तिगत राय है या फिर इसे एक राजनीतिक हमले के रूप में देखा जाए? कुणाल कामरा ने इस मामले को लेकर स्पष्ट किया कि वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए हमेशा खड़े रहेंगे और वह किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस व अदालत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
इस मामले की आगे की कार्रवाई और परिणाम पर नजर रखी जाएगी,क्योंकि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है,बल्कि यह भारतीय समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,राजनीति और कला के बीच के रिश्ते पर भी सवाल उठाता है।