नई दिल्ली,21 दिसंबर (युआईटीवी)- आम आदमी पार्टी (आप ) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शराब नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी ईडी को एक्साइज घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दी गई है।
ईडी ने इस मामले में पहले ही अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया है। एजेंसी का आरोप है कि दोनों ने दिल्ली की एक्साइज नीति 2021-22 में बदलाव किए,जिसके जरिए साउथ लॉबी को मदद दी गई और इस बदले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई। इस राशि का एक बड़ा हिस्सा गोवा विधानसभा चुनाव के प्रचार में इस्तेमाल किया गया था,जिसमें से 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आप के चुनाव प्रचार में किया गया।
इस पूरे मामले की शुरुआत मार्च 2023 में हुई थी, जब ईडी ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था और मई में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। ईडी की जाँच में यह सामने आया था कि एक्साइज नीति में बदलाव के जरिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया था। इसके बाद, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ईडी को मंजूरी दे दी,जिससे केजरीवाल के लिए नई चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे पर एक बयान जारी कर एलजी वीके सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सिसोदिया ने कहा कि यदि ईडी को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है,तो वह इससे जुड़े कॉपी क्यों नहीं दिखा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह खबर पूरी तरह से झूठी और गुमराह करने वाली है और यह सब बाबासाहेब अंबेडकर के अपमान के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। सिसोदिया ने यह भी कहा कि जुमलेबाजी बंद की जाए और ईडी को यह बताना चाहिए कि वह मंजूरी की कॉपी कहाँ है।
इस घटनाक्रम ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल में एक नया मोड़ ला दिया है, खासकर जब दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका है,क्योंकि इससे उनकी छवि पर असर पड़ सकता है और विरोधी पार्टी उनके खिलाफ इस मुद्दे को और अधिक तूल देने का प्रयास कर सकती हैं।
इस मामले में ईडी की कार्रवाई और उपराज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी ने दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यदि इस मामले में मुकदमा चलता है,तो इसका असर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है। हालाँकि,पार्टी का पक्ष यह है कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक साजिश का हिस्सा है और उन्हें विश्वास है कि अंत में सत्य सामने आएगा।
इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में राजनीतिक तापमान बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं और दोनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है,जहाँ एक ओर आम आदमी पार्टी इसे भाजपा की साजिश मान रही है,वहीं भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार का मामला करार दिया है। अब देखना यह होगा कि आगे आने वाले समय में यह मामला और कैसे आगे बढ़ता है और दिल्ली के चुनावी माहौल पर इसका क्या असर पड़ता है।