महाकुंभ नगर,12 फरवरी (युआईटीवी)- महाकुंभ 2025 के दौरान माघ पूर्णिमा के अवसर पर संगम तट पर पहुँचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने एक बार फिर से पुष्पवर्षा की परंपरा को जीवित रखा। यह परंपरा हर साल स्नान पर्व के दौरान श्रद्धालुओं और साधु-संतों पर पुष्पवर्षा करने की होती है,जिससे श्रद्धालुओं की आस्था को सम्मानित किया जाता है। बुधवार,सुबह 8 बजे से ही पुष्पवर्षा का आयोजन किया गया,जो कि एक यादगार अवसर बन गया।
पुष्पवर्षा की शुरुआत सुबह 8 बजे से हुई,जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट और आसपास के घाटों पर स्नान कर रहे थे। जैसे ही हेलीकॉप्टर आसमान में उड़ा और गुलाब की पंखुड़ियाँ गिरनी शुरू हुईं,श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने अपनी खुशी और आस्था का इज़हार करते हुए जय श्री राम और हर-हर महादेव के नारे लगाए। यह दृश्य वाकई दिल को छूने वाला था,जब श्रद्धालुओं ने अपनी धार्मिक भावनाओं का सम्मान होते हुए देखा। श्रद्धालुओं ने अपनी धार्मिक आस्था को सम्मान दिए जाने पर योगी सरकार की सराहना की।
संगम तट पर पुष्पवर्षा का दृश्य बहुत ही भावुक था। जैसे ही हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट सुनाई दी,श्रद्धालुओं को यह अहसास हो गया कि पुष्पवर्षा होने वाली है। इसके बाद वे गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख और भी अधिक अभिभूत हो गए। पूरा वातावरण हर-हर महादेव,जय श्री राम और गंगा मइया की जयकारों से गूँजने लगा। यह दृश्य पूरी तरह से श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत था।
संगम नोज पर पुष्पवर्षा का सबसे अधिक असर हुआ, क्योंकि यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। हेलीकॉप्टर के बार-बार उड़ान भरने से सभी श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा हुई,ताकि कोई भी श्रद्धालु इससे वंचित न रहे। योगी सरकार ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था को सम्मानित किया और उन्हें इस पर्व को यादगार बनाने की कोशिश की।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में यह पुष्पवर्षा की परंपरा पहले भी रही है और माघ पूर्णिमा के मौके पर भी इसे जारी रखा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उद्यान विभाग ने पुष्पवर्षा की पुख्ता तैयारी की थी। इस परंपरा को निभाने के लिए खास तौर पर गुलाब की पंखुड़ियों की व्यवस्था की गई थी। अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक स्नान पर्व पर लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। इसके अलावा,5 क्विंटल फूल रिजर्व के तौर पर रखे जाते हैं,ताकि किसी भी स्थिति में पुष्पवर्षा में कोई कमी न हो।
यह परंपरा महाकुंभ मेले में पहले भी देखी जा चुकी है। योगी सरकार ने 13 जनवरी को पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बरसाई थीं। दूसरे अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर सांकेतिक रूप से पुष्पवर्षा की गई थी। इसी तरह,तीसरे अमृत स्नान पर्व बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा पर भी इस परंपरा को जारी रखा गया।
यह पुष्पवर्षा का आयोजन सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए एक भव्य धार्मिक आयोजन नहीं था,बल्कि यह सरकार द्वारा उनकी श्रद्धा और आस्था को सम्मान देने का एक प्रतीक था। इससे ना केवल श्रद्धालुओं के मन में संतुष्टि और खुशी की भावना पैदा हुई, बल्कि यह भी सिद्ध हुआ कि योगी सरकार अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से निभा रही है।
इस आयोजन ने यह भी साबित किया कि महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है,बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी प्रतीक है। श्रद्धालु जब इस प्रकार की श्रद्धा और सम्मान का अनुभव करते हैं,तो उनकी आस्था और विश्वास और भी मजबूत होते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन की यह पुष्पवर्षा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य अनुभव था,बल्कि यह सरकार की श्रद्धा और आस्था के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन गई।
योगी सरकार के इस कदम ने माघ पूर्णिमा के दिन को और भी यादगार बना दिया और यह परंपरा भविष्य में भी इसी तरह जारी रहने की उम्मीद जताती है।