लापता लेडीज (तस्वीर क्रेडिट@Surender_10K)

फिल्म लापता लेडीज ऑस्कर 2025 की दौड़ से हुई बाहर,फिल्म ‘संतोष’ अंतिम 15 में शामिल

मुंबई,18 दिसंबर (युआईटीवी)- किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म लापता लेडीज,जो भारत की आधिकारिक प्रविष्टि थी,ऑस्कर 2025 की दौड़ से बाहर हो गई है। 97वें अकादमी पुरस्कारों की दौड़ से बाहर हो चुकी इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर श्रेणी में अपनी जगह बनाने के लिए अंतिम 15 फिल्मों में भी स्थान नहीं बना सकी। अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (एएमपीएएस) ने इस फिल्म के बाहर होने की घोषणा की।

लापता लेडीज एक ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म है, जो 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिली थीं। यह फिल्म जियो स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत की गई थी और इसे किरण राव ने निर्देशित किया था। फिल्म का निर्माण आमिर खान और ज्योति देशपांडे ने किया था। लापता लेडीस की स्क्रिप्ट बिप्लब गोस्वामी ने लिखी थी,जबकि दिव्यनिधि शर्मा ने इसके अतिरिक्त संवाद तैयार किए थे।

हालाँकि,फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर में नामांकित होने के बावजूद अंतिम चयन में शामिल नहीं हो पाई। इस श्रेणी में भारत की अन्य तीन फिल्में,मदर इंडिया (1957),सलाम बॉम्बे (1988) और लगान (2001) पहले नामांकित हो चुकी हैं, लेकिन इनमें से किसी भी फिल्म को ऑस्कर पुरस्कार नहीं मिला था।

इस बार ऑस्कर की दौड़ में जगह बनाने वाली फिल्मों की सूची में ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की फिल्म संतोष भी शामिल है,जो ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करेगी। इसके अलावा,अंतिम 15 फिल्मों में जिन फिल्मों का चयन हुआ है,उनमें आई एम स्टिल हियर (ब्राजील),यूनिवर्सल लैंग्वेज (कनाडा),एमिलिया पेरेज (डेनमार्क),द गर्ल विद द नीडल (डेनमार्क),वेव्स (चेक गणराज्य),द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग (जर्मनी),टच (आइसलैंड),नीकैप (आयरलैंड),वर्मिग्लियो (इटली),फ्लो (लातविया), आर्मंड (नॉर्वे),फ्रॉम ग्राउंड जीरो (फिलिस्तीन),डाहोमी (सेनेगल) और हाउ टू मेक मिलियन्स बिफोर ग्रैंडमा डाइस (थाईलैंड) जैसी फिल्में शामिल हैं।

17 जनवरी को ऑस्कर अवॉर्ड का ऐलान किया जाएगा,जबकि 2 मार्च को ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा।

लापता लेडीज की असफलता के बावजूद,इस फिल्म ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था और इसके निर्देशन और कहानी को सराहा गया। किरण राव की यह फिल्म भारतीय फिल्म उद्योग की एक नई दिशा को दिखाती है,जहाँ ग्रामीण मुद्दों और महिला पात्रों की जटिलताओं को पर्दे पर उजागर किया गया।

हालाँकि,फिल्म का बाहर होना निराशाजनक है,लेकिन भारतीय सिनेमा की अंतर्राष्ट्रीय पहचान को और बढ़ाने में इसने एक अहम भूमिका निभाई। आगे भी भारत की ओर से अन्य फिल्में ऑस्कर की दौड़ में शामिल हो सकती हैं और दुनिया भर में भारतीय सिनेमा का प्रभाव बढ़ सकता है।