नई दिल्ली, 26 मार्च (युआईटीवी/आईएएनएस)- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गैंगस्टर से विधायक बने मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी। इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार की एक बड़ी जीत माना जा रहा है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि अंसारी को दो सप्ताह के भीतर यूपी को सौंप दिया जाए और फिर बांदा जेल में रखा जाए। शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 32 के तहत यूपी सरकार की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए यह निर्णय दिया। याचिका में अंसारी को पंजाब से यूपी जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
अनुच्छेद 32 “संवैधानिक निदान के अधिकार” से संबंधित है। यह अनुच्छेद संविधान में प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन के लिए शीर्ष अदालत से गुहार लगाने का अधिकार देता है।
उत्तर प्रदेश सरकार और पंजाब सरकार में इस बात को लेकर ठनी थी कि क्या राज्य सरकार मौलिक अधिकारों का दावा करने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर कर सकती है।
यूपी सरकार ने अनुच्छेद 32 के तहत पंजाब सरकार और रूपनगर जेल प्राधिकरण को अंसारी की कस्टडी को जिला जेल बांदा में सौंपने के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अंसारी जनवरी 2019 से जिला जेल रूपनगर में बंद है।
पंजाब सरकार ने यूपी सरकार के इन दावों का यह कहते हुए विरोध किया था कि केवल एक नागरिक ही अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों का दावा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकता है और एक राज्य इस प्रावधान का आह्वान नहीं कर सकता है।
पंजाब सरकार ने यूपी की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा, “राज्य को स्वयं किसी भी परिस्थिति में अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है.. इसलिए उत्तर प्रदेश राज्य वर्तमान रिट याचिका दायर करने के लिए सक्षम नहीं है क्योंकि यह न तो नागरिक है जिसे अधिकार प्रदत्त है और न तो इसके कोई मौलिक अधिकार हैं जो विशेष रूप से नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि पंजाब सरकार गैंगस्टर से नेता बने अंसारी की रक्षा कर रही है। अंसारी कथित जबरन वसूली के मामले में पंजाब की जिला जेल रूपनगर में बंद है।
यूपी सरकार ने कहा कि 30 से अधिक एफआईआर और हत्या के जघन्य अपराध सहित 14 से अधिक आपराधिक मुकदमे और गैंगस्टर अधिनियम के तहत विभिन्न एमपी / एमएलए अदालतों में अंसारी के खिलाफ लंबित हैं, जहां उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की जाती है।