नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर (तस्वीर क्रेडिट@sanatan_sarthi)

नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर

नागपुर,24 मार्च (युआईटीवी)- नागपुर में औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर हुए प्रदर्शनों ने अचानक हिंसा का रूप ले लिया। इस हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान पर अब देवेंद्र फडणवीस का डंडा चल गया है। सोमवार को फहीम खान के घर पर नगर निगम ने बुलडोजर चला दिया। फहीम खान पर आरोप है कि वह नागपुर में हुई हिंसा का मास्टरमाइंड है और फिलहाल वह पुलिस हिरासत में है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,नागपुर नगर निगम ने फहीम खान को अवैध निर्माण को खुद से हटाने के लिए 24 घंटे का वक्त दिया था,लेकिन उसने इसका पालन नहीं किया। इसके बाद नगर निगम ने उसे चेतावनी देने के बाद अब उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलाया है। यह कार्रवाई तब हो रही है,जब 17 मार्च को हुए दंगों के बाद शहर में लगे कर्फ्यू को हटा दिया गया है।

नागपुर महानगर पालिका के मुताबिक,फहीम खान का दो मंजिला मकान संजय बाग कॉलोनी में स्थित है,जिसे आज तोड़ दिया गया। यह पहली बार होगा,जब दंगों के किसी आरोपी की संपत्ति पर इस तरह की कार्रवाई की गई है और अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया है। नगर निगम की इस कार्रवाई को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं,क्योंकि यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह प्रशासन ने दंगों के आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,फहीम खान माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीएम) का शहर अध्यक्ष है। इसके अलावा,सैयद आसिम अली का नाम भी इस हिंसा में सामने आया है,जो एमडीएम के पदाधिकारी हैं। जानकारी के मुताबिक,फहीम खान के साथ इन दोनों का नाम हिंसा में आने के बाद पुलिस ने फहीम खान की दो दुकानों को भी सील कर दिया है। जाँच में यह पता चला है कि इन दुकानों का इस्तेमाल फहीम खान और माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े दंगाइयों द्वारा किया गया था।

यह कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है, जब सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में यह स्पष्ट किया था कि किसी नागरिक के घर को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए तोड़ना गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार केवल इस आधार पर किसी परिवार के घर को नहीं तोड़ सकती कि परिवार का कोई सदस्य गंभीर अपराध का आरोपी है। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को गिराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि विधिक प्रक्रिया का पालन किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार,यदि किसी आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं होते हैं,तो उसके घर को तोड़ने का अधिकार सरकार को नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी नागरिक का घर केवल इसलिए नहीं तोड़ा जा सकता कि वह आरोपी है और यह अधिकार सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के तहत ही मिल सकता है। इसी आदेश के बाद,सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस तरह की कार्रवाई कानूनी रूप से सही है, खासकर जब इसमें किसी को बिना अदालत से फैसले के दोषी मानते हुए उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया जा रहा है।

हालाँकि,इस समय यह स्पष्ट नहीं है कि इस कार्रवाई को लेकर कानूनी चुनौती दी जाएगी या नहीं। कई लोगों का मानना है कि यह एक संदेश देने के लिए किया गया कदम है,जबकि कुछ का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से न्याय प्रणाली के सिद्धांतों पर सवाल उठ सकते हैं।

फहीम खान की संपत्ति पर बुलडोजर चलाए जाने के बाद,नगर निगम ने यह दावा किया है कि यह कदम अवैध निर्माण के खिलाफ था और इसका कोई राजनीतिक रंग नहीं था। हालाँकि,राजनीतिक विपक्ष और कुछ नागरिक संगठन इसे राजनीति से प्रेरित कदम मान रहे हैं और इस पर सवाल उठा रहे हैं।

इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के लिए नियम बनाए हैं,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। ऐसे में,अगर कोई आरोपी है,तो उसे कानूनी प्रक्रिया का सामना करना चाहिए और अगर उस पर आरोप सिद्ध होते हैं,तो ही उसकी संपत्ति पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस घटनाक्रम ने पूरे देश में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है,क्योंकि यह सीधे तौर पर कानून और न्याय व्यवस्था की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस मामले में आगे क्या होता है,यह देखने योग्य होगा,क्योंकि इसमें कई पक्षों की राय और कानूनी पहलू शामिल हैं।