काठमांडू,7 जनवरी (युआईटीवी)- नेपाल में आज सुबह करीब 6:35 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए,जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.1 मापी गई। यह भूकंप नेपाल के लोबुचे से लगभग 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में नेपाल-तिब्बत सीमा के पास आया था। इस भूकंप का असर नेपाल के अलावा भारत के कई राज्यों और तिब्बत में भी महसूस हुआ। भूकंप के बाद तिब्बत में कुछ ही समय बाद 9:05 बजे एक और भूकंप आया,जिसकी तीव्रता 6.8 मापी गई। इसके परिणामस्वरूप, भारी तबाही हुई और अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि 62 अन्य लोग घायल हो गए हैं। राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है।
नेपाल में सुबह के समय आया यह भूकंप इतना तेज था कि इसका असर कई भारतीय राज्यों में भी महसूस हुआ। विशेष रूप से,दिल्ली-एनसीआर,बिहार,उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी समेत कई इलाकों में इसके झटके लोगों ने महसूस किए। झटके लगभग 15 सेकंड तक चले,जिससे लोग घबराए और तुरंत अपने घरों से बाहर निकल आए। राजधानी काठमांडू सहित अन्य क्षेत्रों में लोग हड़बड़ी में बाहर भागते दिखाई दिए। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा किए गए वीडियो में घबराए हुए लोग भागते हुए दिखाई दे रहे थे और घटनास्थल पर अफरातफरी का माहौल था।
भूकंप के कुछ समय बाद,सुबह 9:05 बजे तिब्बत के शिजांग (तिब्बत) स्वायत्त क्षेत्र के शिगाजे शहर के डिंगरी काउंटी में फिर से भूकंप आया। इस भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई और इसका केंद्र टिंगरी में जमीन से 10 किमी की गहराई में था। इस भूकंप ने तिब्बत में भारी तबाही मचाई। अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है और 62 लोग घायल हुए हैं। भारी इमारतें गिरने की खबरें भी सामने आई हैं और राहत -बचाव अभियान जारी है। तिब्बत में प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन सेवाओं की शुरुआत कर दी है और मलबे से लोगों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
नेपाल के काठमांडू की रहने वाली मीरा अधिकारी ने एएनआई से बातचीत करते हुए बताया कि,जब भूकंप आया उस समय मैं सो रही थी। बिस्तर हिल रहा था,तो मुझे लगा कि मेरा बच्चा बिस्तर हिला रहा है,लेकिन जब खिड़की को हिलते देखा,तो मुझे समझ में आ गया कि यह भूकंप था। मैंने तुरंत अपने बच्चे को बुलाया और घर से बाहर निकलकर खुले मैदान में आ गई।” मीरा अधिकारी के अनुसार,भूकंप के दौरान कई लोग डर के मारे घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
यह पहला भूकंप नहीं था,जो नेपाल में आया। इससे पहले, 2 जनवरी 2025 को नेपाल में एक और भूकंप आया था,जिसकी तीव्रता 4.8 मापी गई थी। इसका केंद्र काठमांडू से 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित सिंधुपालचौक जिले में था। इससे पहले, नवंबर 2024 में भी नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था,जिसमें 145 लोगों की मौत हो गई थी। यह भूकंप नेपाल के जजरकोट और रुकुम पश्चिम क्षेत्रों में आया था, जिसमें 140 अन्य लोग घायल हो गए थे। अप्रैल 2023 में भी नेपाल में दो बार भूकंप आया था, जिनमें से एक 5.2 तीव्रता का था और इसका केंद्र दोखला जिले के सूरी में था। भूकंप के झटके काठमांडू घाटी समेत कई अन्य जिलों में महसूस किए गए थे।
विशेषज्ञों ने नेपाल में भूकंप के खतरे की ओर पहले ही आगाह किया था। नेपाल,जो हिमालय क्षेत्र में स्थित है,अक्सर भूकंप का केंद्र बनता है क्योंकि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर स्थित है। ऐसे में नेपाल के लिए भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार,इस क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका बनी रहती है और इसकी तैयारी के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
भूकंप के बाद नेपाल और तिब्बत दोनों में राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया। बचाव दल प्रभावित क्षेत्रों में पहुँचकर मलबे से जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि,दोनों क्षेत्रों में भूकंप से हुए नुकसान की तस्वीर अभी पूरी तरह से सामने नहीं आई है,लेकिन जो घटनाएँ सामने आई हैं,वे भयावह हैं। सरकारें और गैर-सरकारी संगठन राहत कार्यों में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं और मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
नेपाल और तिब्बत में हाल ही में आए भूकंपों ने यह साबित कर दिया कि इस क्षेत्र में भूकंप के खतरे से निपटने के लिए समुचित तैयारियाँ करना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में भूकंप के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है, ताकि अधिक-से-अधिक जान-माल की हानि को रोका जा सके। साथ ही, इन आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली की आवश्यकता है।
नेपाल और तिब्बत में हालिया भूकंपों ने यह सिद्ध कर दिया है कि इस क्षेत्र में भूकंप के खतरे से निपटने के लिए और अधिक सतर्कता और तैयारी की आवश्यकता है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं और सरकारें इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठा रही हैं। साथ ही,नेपाल और तिब्बत के लोग इस आपदा के दौरान एकजुट होकर आपस में मदद कर रहे हैं और इस मुश्किल घड़ी में दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है।