प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@KulwantRanaBJP)

भारत में आयोजित होगा अगला एआई एक्शन समिट,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताई खुशी

पेरिस,12 फरवरी (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में आयोजित एआई एक्शन समिट के समापन पर कहा कि एआई की गति को तेज करने और इसके वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए भारत अगला एआई शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है। उन्होंने इस पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है। अपने समापन संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि एआई के भविष्य को आकार देने के लिए सभी पक्षों के दृष्टिकोण और उद्देश्यों में एकता है। उनका मानना था कि इससे संबंधित निर्णयों में समन्वय और सहयोग से वैश्विक स्तर पर सकारात्मक बदलाव आएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने एआई फाउंडेशन और काउंसिल फॉर सस्टेनेबल एआई की स्थापना के फैसले का स्वागत करते हुए फ्रांस और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इसके लिए बधाई दी और भारत की ओर से उनके प्रयासों का समर्थन करने का आश्वासन दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एआई के क्षेत्र में वैश्विक साझेदारी के निर्माण का भी सुझाव दिया। उनका कहना था कि एआई के दायरे में साझेदारी और सहयोग से न केवल वैश्विक विकास में गति मिलेगी,बल्कि यह सभी देशों के लिए लाभकारी होगा। इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एआई एक्शन समिट को संबोधित करते हुए भारत के प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि भारत सार्वजनिक भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एप्लीकेशन पर काम कर रहा है और देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा एआई टैलेंट पूल है। प्रधानमंत्री मोदी ने एआई के विकास में भारत की भूमिका को उजागर करते हुए कहा, “भारत अपनी विविधता को ध्यान में रखते हुए अपना खुद का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) विकसित कर रहा है।”

भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संसाधन जैसे कम्प्यूटिंग पावर और डेटा गोपनीयता के मुद्दों पर उचित तकनीकी और कानूनी ढाँचा तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि भारत का एक यूनिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल है,जो स्टार्ट-अप्स और शोधकर्ताओं को किफायती दरों पर कम्प्यूटिंग पावर और अन्य संसाधन उपलब्ध कराता है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे तकनीकी क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है और साथ ही दुनिया भर के अनुसंधानकर्ताओं को भारत के तकनीकी मंच से जोड़ने का मौका मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने एआई के उपयोग के कई क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला,विशेष रूप से स्वास्थ्य,कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में। उन्होंने कहा कि एआई लाखों लोगों की जिंदगी को बदल सकता है और यह सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की यात्रा को तेज और आसान बना सकता है। पीएम मोदी ने एआई के कारण नौकरियों के खत्म होने की बहस पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि “इतिहास गवाह है कि तकनीक कभी काम को खत्म नहीं करती,बल्कि इसके परिणामस्वरूप काम के प्रकार बदल जाते हैं और नई नौकरियों का सृजन होता है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि एआई के जरिए आने वाले समय में नई नौकरियों का सृजन हो सकता है,लेकिन इसके लिए लोगों को कौशल और पुनः कौशल (स्किल और रिस्किलिंग) में निवेश करना होगा,ताकि लोग एआई से संचालित भविष्य के लिए तैयार हो सकें। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि, “हमें एआई से जुड़े नए अवसरों को पहचानने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा,ताकि हम बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।”

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने अपने 1.4 अरब से अधिक लोगों के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को बेहद कम लागत पर तैयार किया है,जिससे अब देश की जनता को डिजिटल तकनीक का पूरा लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही, भारत ने डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के लिए कानूनी और तकनीकी ढाँचे को भी मजबूत किया है।

एआई सुरक्षा पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि एआई को लेकर वैश्विक मानकों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एआई के विकास की गति तेज हो रही है और इसे और तेजी से लागू किया जा रहा है। ऐसे में,यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि सभी देशों के लिए एक समान और भरोसेमंद एआई का विकास हो। इसके लिए वैश्विक स्तर पर एक साझा मानक स्थापित करना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में एआई के लिए वैश्विक सुरक्षा मानकों की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि इस दिशा में सभी देशों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। इस बात पर भी जोर दिया गया कि एआई के विकास के साथ-साथ इसके उपयोग से जुड़े जोखिमों को भी ध्यान में रखना चाहिए,ताकि मानवता के लिए यह तकनीक सहायक और सुरक्षित बनी रहे।

2023 में ब्रिटेन के बैलेचली पार्क में पहला एआई सुरक्षा शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जहाँ दुनिया भर के देशों ने एआई से जुड़े जोखिमों को स्वीकार किया और एक “मानव-केंद्रित,भरोसेमंद और सुरक्षित एआई” बनाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। इसके बाद,मई 2024 में सियोल में दूसरा एआई शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। अब, तीसरा एआई शिखर सम्मेलन पेरिस में आयोजित हुआ,जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने “एआई के लिए वैश्विक साझेदारी” बनाने का एक अहम कदम माना।

प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस में एआई सुरक्षा शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत एआई के विकास और इसके नियंत्रण में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने समग्र रूप से कहा कि एआई के भविष्य को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए समग्र वैश्विक सहयोग और साझा जिम्मेदारी की आवश्यकता है।