लंदन/टोक्यो,11 अप्रैल (युआईटीवी)- वैश्विक व्यापारिक तनाव के बीच ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) से किसी देश को कोई लाभ नहीं होगा और इसके विपरीत,यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई,जब अमेरिका ने हाल ही में एक नया और विवादास्पद टैरिफ सेट लागू किया है। इसके तहत अधिकतर देशों से आने वाले आयात पर 10% शुल्क लगाया गया है,जबकि स्टील,एल्युमिनियम और ऑटो पार्ट्स जैसे खास उत्पादों पर 25% तक का टैरिफ लगाया गया है।
अमेरिका के इन कदमों के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी अस्थिरता देखी जा रही है। निवेशकों में चिंता बढ़ी है और कई देशों ने अमेरिकी टैरिफ पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। वैश्विक स्तर पर अर्थशास्त्रियों ने इन नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को गहरी चोट पहुँचेगी।
फाइनेंशियल टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक,ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने पहले ही यह स्वीकार किया था कि अमेरिका द्वारा ब्रिटिश वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को हटाना आसान नहीं होगा। खासकर ब्रिटिश कारों पर लगाया गया 25 प्रतिशत आयात शुल्क देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है।
स्टार्मर ने यह भी कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति को इन टैरिफ को कम करने या हटाने के लिए मनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के शुल्क केवल द्विपक्षीय व्यापार को कमजोर करते हैं और इससे रोजगार तथा निवेश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ब्रिटेन के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि लगातार बढ़ती अनिश्चितता, कमजोर निर्यात प्रदर्शन और आयात लागत में इजाफा देश की आर्थिक वृद्धि और नौकरियों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ मिलकर स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास तेज करे।
इस बीच,जापान ने भी अमेरिका की इन टैरिफ नीतियों को लेकर चिंता जताई है। जापानी सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि वह टैरिफ वार्ता के लिए अपने आर्थिक पुनरोद्धार मंत्री रयोसेई अकाजावा को अगले सप्ताह अमेरिका भेजने की योजना बना रही है। इस पहल का मकसद अमेरिका के साथ बातचीत कर टैरिफ के प्रभाव को कम करना है और अपने उद्योगों को संरक्षण देना है।
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ किया है कि अगर कोई व्यापारिक साझेदार देश 9 जुलाई तक अमेरिका के साथ समझौता नहीं करता,तो उस देश से आने वाले सभी सामानों पर घोषित पारस्परिक टैरिफ दरें लागू कर दी जाएँगी। यह चेतावनी वैश्विक स्तर पर एक और आर्थिक संकट की आहट मानी जा रही है।
ब्रिटिश और जापानी नेताओं की यह बातचीत ऐसे समय में हुई है,जब वैश्विक व्यापारिक माहौल तेजी से बदल रहा है और देशों के बीच टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। यह स्पष्ट है कि ट्रेड वॉर किसी के हित में नहीं है और इसका सीधा असर आम नागरिकों,रोजगार,निवेश और वैश्विक स्थिरता पर पड़ता है। अब सभी की निगाहें आने वाले हफ्तों में अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच होने वाली वार्ताओं पर टिकी हैं।