अयोध्या,17 अप्रैल (युआईटीवी)- रामनवमी के मौके पर अयोध्या में रामलला के सूर्यतिलक का अद्भुत नजारा देखने को मिला,जब सूर्य की किरणों से रामलला के मस्तक पर सूर्याभिषेक हुआ। यह रामनवमी काफी खास और ऐतिहासिक है,क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। इस अवसर पर रामलला की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
भगवान रामलला का रामनवमी के असवर पर सूर्याभिषेक किया गया। रामलला का सूर्याभिषेक सूर्य की किरणों से किया गया। यह नजारा बेहद मनमोहक लग रहा था। राम मंदिर का इस अवसर पर विशेष श्रृंगार किया गया है। रामनवमी के दिन भगवान रामलला के मस्तक तक सूर्य की किरण वैज्ञानिक दर्पण के जरिए आई। इस दौरान रामलला के ललाट पर 5 मिनट तक सूर्य की किरण दिखाई दी।
रामनवमी के दिन भगवान रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरण को वैज्ञानिक दर्पण के जरिए पहुँचाने का पूर्वाभ्यास शुक्रवार को हुआ और पूर्ण रूप से ये प्रयोग सफल रहा था। सफल परीक्षण के बाद वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया था कि इस बार रामनवमी के मौके पर सूर्यदेव भगवान रामलला का तिलक करेंगे। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि यह प्रयोग मंदिर पूर्ण होने के बाद ही सफल हो सकेगा,लेकिन वैज्ञानिकों ने भगवान रामलला के मस्तक तक सूर्य की किरण को शुक्रवार को सफलतापूर्वक पहुँचाया।
श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण की जानकारी देते हुए वैज्ञानिकों के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि भगवान रामलला के ठीक ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ी। वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह प्रयास बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है। प्रभु राम के माथे पर सूर्य की किरणें जैसे ही पड़ी,वैसे ही भगवान सूर्य के उदय होने के बारे में पता चला।
मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि जब प्रभु राम ने त्रेता युग में अवतार लिया था,तो सूर्य देव अयोध्या में उस दौरान एक महीने तक रुके थे। अब कलयुग में त्रेता युग का वह दृश्य साकार हो रहा है। प्रभु राम की जब हम आरती उतार रहे थे और उनके माथे पर सूर्य देव राजतिलक कर रहे थे,तो वह नजारा बहुत अद्भुत दिखाई दे रहा था।
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राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने रामलला को लगाए गए भोग के बारे में बताया कि,छप्पन भोग रामलला को लगाया गया। रामनवमी के अवसर पर आज मेला का आयोजन किया गया है। सब कुछ आज विशेष है और भक्तगण प्रार्थना कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि रामलला का जन्म सूर्य तिलक के साथ हुआ। मंदिर में आरती की गई। रामलला का पट सूर्य तिलक के बाद कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया।
इससे पूर्व जगद्गुरु राघवाचार्य ने भगवान रामलला का 51 कलशों से अभिषेक किया।
मंदिर के कपाट बुधवार सुबह 3.30 बजे खोले गए,जबकि आम दिनों में यह सुबह 6:30 बजे खोले जाते हैं। रात 11:30 बजे श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे अर्थात रामनवमी के अवसर पर श्रद्धालु भगवान रामलला के 20 घंटे दर्शन कर सकेंगे।