सोल,3 जनवरी (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया में हाल ही में एक गंभीर राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है, जिसमें महाभियोग का सामना कर रहे दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक-योल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने एक आपातकालीन कदम उठाया था,लेकिन समर्थकों के हंगामे के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। इस घटनाक्रम ने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया है और इसे लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। यह घटनाएँ एक जाँच के सिलसिले में हुई हैं, जिसमें राष्ट्रपति यून पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है और विद्रोह भड़काने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ जाँच चल रही है और इसमें उन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं,जिनमें सबसे महत्वपूर्ण आरोप अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करना और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की स्थिति उत्पन्न करना है। इस मामले में जाँच में रुकावट डालने और कानून की प्रक्रिया को चुनौती देने के आरोप भी राष्ट्रपति यून के खिलाफ लगाए गए हैं। इसके बाद, जाँच एजेंसी,भ्रष्टाचार जाँच कार्यालय (सीआईओ) ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
हालाँकि,इस गिरफ्तारी वारंट को लागू करने की प्रक्रिया को लेकर कई कानूनी और सुरक्षा संबंधी जटिलताएँ उत्पन्न हो गईं। जब सीआईओ के अधिकारियों ने राष्ट्रपति यून को गिरफ्तार करने के लिए कदम बढ़ाए,तो उनकी सुरक्षा टीम और स्थानीय पुलिस के बीच घंटे भर का गतिरोध पैदा हो गया। इसके बाद,अधिकारियों ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्णय लिया। सीआईओ ने यह स्पष्ट किया कि टकराव की स्थिति को देखते हुए,गिरफ्तार करने का प्रयास करना व्यावहारिक रूप से असंभव था और अधिकारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस कदम को फिलहाल रोका गया है।
सीआईओ के अधिकारियों ने बयान जारी करते हुए कहा कि “हमने निष्कर्ष निकाला कि निरंतर टकराव के कारण हिरासत वारंट पर कार्रवाई करना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा,इसके अलावा साइट पर मौजूद कर्मियों की सुरक्षा को देखते हुए कार्रवाई को रोका गया।” इसके अलावा,उन्होंने यह भी कहा कि वे अगले कदमों के बारे में समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही निर्णय लेंगे।
इस घटनाक्रम के बाद,यून के समर्थकों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार की सुबह, 1,000 से अधिक यून के समर्थक उनके निवास के पास एकत्र हुए थे और इस संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही थी। इन समर्थकों ने राष्ट्रपति यून के खिलाफ किसी भी प्रकार के कानूनी कदम को रोकने के लिए प्रदर्शन किया और उनके खिलाफ प्रस्तावित गिरफ्तारी को विफल करने का प्रयास किया। यून के समर्थकों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रपति की गिरफ्तारी के खिलाफ थे और उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक कदम बताया।
यह स्थिति इस समय बहुत संवेदनशील बन गई है क्योंकि यदि राष्ट्रपति यून को गिरफ्तार करने की कोशिश की जाती है,तो यह और भी बड़े विरोध प्रदर्शन को जन्म दे सकता है और इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ भी बढ़ सकती हैं। सीआईओ के लिए शनिवार और रविवार को यून को गिरफ्तार करना कहीं अधिक जोखिम भरा साबित हो सकता है,क्योंकि इस दौरान प्रदर्शनकारियों की संख्या और बढ़ने की संभावना है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
इस पूरे मामले का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि राष्ट्रपति यून ने 3 दिसंबर की रात को आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी,जो कुछ घंटों के लिए लागू हुआ था। हालाँकि,संसद ने इसके खिलाफ मतदान किया और इसके परिणामस्वरूप मार्शल लॉ को रद्द कर दिया गया। यह घटना देश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल लाने वाली साबित हुई,क्योंकि इससे सरकार और राष्ट्रपति की सत्ता पर सवाल उठने लगे थे।
हालाँकि,यून की कानूनी टीम ने गिरफ्तारी वारंट को अवैध करार दिया है और कहा कि वे इसे अदालत में चुनौती देंगे। यह कानूनी विवाद अब उच्चतम न्यायालय तक पहुँचने की संभावना है,जो राष्ट्रपति के खिलाफ जाँच की दिशा को निर्धारित कर सकता है।
इस बीच,राष्ट्रपति यून के खिलाफ विपक्षी दलों ने एक महाभियोग प्रस्ताव भी पेश किया है,जिसे नेशनल असेंबली ने पहले ही पारित कर दिया है। इसके साथ ही, कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू और उप प्रधानमंत्री चोई सांग-मोक की भूमिका भी बढ़ गई है। चोई सांग-मोक ने दोनों प्रमुख पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए सरकार की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की है।
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक संकट ने देश के भीतर और बाहर गहरी चर्चा और चिंताएँ पैदा कर दी हैं। इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक नए चरण की शुरुआत हो चुकी है,जिसमें सत्ता संघर्ष,कानूनी विवाद और सार्वजनिक प्रदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अब देखना यह है कि इस संघर्ष का अंत क्या होगा और यह दक्षिण कोरिया की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा।