रांची, 13 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के तौर पर नोटिफाई किए जाने पर जैन समाज तीव्र विरोध जता रहा है। पिछले एक हफ्ते में देश के एक दर्जन से भी ज्यादा शहरों में सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। कई जैन मुनियों ने भी सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग की है। पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात है। जैनियों के 24 में से 20 तीथर्ंकरों की निर्वाण भूमि होने से यह उनके लिए पूज्य क्षेत्र है। जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने से इस पूज्य स्थान की पवित्रता भंग होगी। मांस भक्षण और मदिरा पान जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे अहिंसक जैन समाज की भावना आहत होगी।
पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो चारों ओर वन क्षेत्र से घिरा है। पहाड़ी की तराई में जैनियों के दर्जनों मंदिर है। 2 अगस्त 2019 को झारखंड सरकार की ओर से की गई अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्य जीव अभ्यारण्य और इको सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाई किया है। जैन समाज का कहना है कि इलाके में पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की इजाजत दिया सर्वथा गलत है। इस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग को लेकर देश के कई हिस्सों में जैनियों ने रैलियां निकाली हैं। मंगलवार को मध्य प्रदेश के धार शहर में विश्व जैन संगठन के आान पर पैदल मौन मार्च निकाला गया।
रविवार को इंदौर में दिगम्बर व श्वेतांबर जैन समाज के धर्मावलंबियों ने आस्था पर कुठाराघात, नहीं सहेगा जैन समाज, शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित करने का निर्णय वापस लो, शिखरजी की पवित्रता का हनन अब नहीं होगा सहन, जैसे नारों की तख्तियों के साथ विशाल रैली निकाली। कटनी, खंडवा, बांसवाड़ा, धार, अजमेर, डूंगरपुर सहित कई अन्य शहरों में भी मौन प्रदर्शन हुए हैं। उधर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में महायोगी श्रमण श्री 108 विहर्ष सागर जी गुरुदेव ने सोमवार को कहा श्री सम्मेद शिखरजी जैनों का अनादि निधन पवित्र क्षेत्र है और इसके संरक्षण, सुरक्षा के लिए आज पूरा समाज एकजुट है।
जैन समाज का कहना है कि अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया तो इस पूजा स्थल की पवित्रता भंग हो जाएगी। वहां मांसाहार और शराब सेवन जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे ‘अहिंसक’ जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
गौरतलब है कि पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो वन क्षेत्र से घिरी हुई है। पहाड़ी की तलहटी में दर्जनों जैन मंदिर हैं। 2 अगस्त, 2019 को झारखंड सरकार द्वारा की गई सिफारिश के बाद केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्यजीव अभयारण्य और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया है।
जैन समाज का कहना है कि क्षेत्र में ईको-टूरिज्म और अन्य गैर-धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देना गलत है।
जैन समुदाय के लोगों ने देश के कई हिस्सों में रैलियां निकालकर उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया है।
विश्व जैन संगठन के आह्वान पर मंगलवार को मध्यप्रदेश के धार शहर में मौन मार्च निकाला गया.
दिगंबर और श्वेतांबर जैन समुदाय के लोगों ने रविवार को इंदौर में विशाल रैली की। इसी तरह का प्रदर्शन कटनी, खंडवा, बांसवाड़ा, धार, अजमेर, डूंगरपुर में देखा गया।
महायोगी श्रमण श्री 108 विहर्ष सागर जी गुरुदेव ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा, श्री सम्मेद शिखरजी जैनियों के सनातन पवित्र क्षेत्र हैं और आज पूरा समाज इसकी रक्षा और सुरक्षा के लिए एकजुट है।