Partha Chatterjee and Arpita

पार्थ चटर्जी ने अर्पिता को जबरन नियुक्त किया निदेशक: ईडी चार्जशीट

कोलकाता, 21 सितंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले में दायर अपने पहले आरोपपत्र में दावा किया है कि राज्य के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने अर्पिता मुखर्जी को मुखौटा कंपनियों की निदेशक बनने के लिए मजबूर किया था। इन कंपनियों का मकसद अवैध आय को चैनलाइज करना था। ईडी के सूत्रों ने आरोपपत्र का हवाला देते हुए कहा कि मुखर्जी ने जांच एजेंसी के सामने स्वीकार किया कि चटर्जी के निर्देशों का पालन करने वाले लेखाकारों में से एक उन पर इन कंपनियों में निदेशक बनने का दबाव बना रहा था।

केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने अब तक तीन कंपनियों – सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, सिम्बायोसिस मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड और एचे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को ट्रैक किया है – जहां अर्पिता मुखर्जी दो निदेशकों में से एक थीं।

तीनों कंपनियों में दूसरे निदेशक कल्याण धर हैं, जिनकी शादी मुखर्जी की बहन से हुई है।

धर पहले ही जांच एजेंसी को बता चुके हैं कि वह सिर्फ अपनी भाभी का नौकरीपेशा ड्राइवर था और उसकी जानकारी के बिना उसे निदेशक बना दिया गया था।

जैसा कि आरोपपत्र में उल्लेख किया गया है, मुखर्जी ने यह भी उल्लेख किया कि जब तक चटर्जी की बेटी सोहिनी चटर्जी भट्टाचार्य विदेश से भारत नहीं लौटतीं, तब तक वह इन कंपनियों के निदेशक के रूप में कार्य करती रहेंगी, जिसके बाद उनका नाम वापस ले लिया जाएगा।

सोहिनी और उनके पति कल्याणमय भट्टाचार्य फिलहाल अमेरिका में सेटल हैं।

सोहिनी भट्टाचार्य पश्चिम मिदनापुर जिले के पिंगला में बीसीएम इंटरनेशनल स्कूल की निदेशक भी हैं, जिसका नाम पूर्व मंत्री की दिवंगत पत्नी बबली चटर्जी के नाम पर रखा गया है।

स्कूल के लिए खाते और फंडिंग के स्रोत भी ईडी की जांच के दायरे में हैं।

ईडी के आरोपपत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुखर्जी ने यह कहना स्वीकार किया कि उनके दो आवासों से बरामद किया गया 49.80 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का सोना पार्थ चटर्जी का था।

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