नई दिल्ली, 10 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु में 11 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों और चेन्नई में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) के नए परिसर का 12 जनवरी को उद्घाटन करेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नए मेडिकल कॉलेज लगभग 4,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें से लगभग 2,145 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और बाकी तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रदान किए गए हैं।
नए मेडिकल कॉलेज विरुधुनगर, नमक्कल, नीलगिरी, तिरुपुर, तिरुवल्लूर, नागपट्टिनम, डिंडीगुल, कल्लाकुरिची, अरियालुर, रामनाथपुरम और कृष्णागिरी जिलों में स्थपित कराए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना देश के सभी हिस्सों में सस्ती चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रधान मंत्री के निरंतर प्रयास के अनुरूप की जा रही है।
केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 1,450 सीटों की संचयी क्षमता वाले नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। इस योजना का मकसद ‘मौजूदा जिला/रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना’ करना है।
इस योजना के तहत उन जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाते हैं, जिनमें कोई सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं है।
पीएमओ ने कहा, चेन्नई में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) के एक नए परिसर की स्थापना भारतीय विरासत की रक्षा और संरक्षणऔर शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रधान मंत्री के ²ष्टिकोण के अनुरूप है।
नया परिसर पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है और 24 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। अभी तक किराए के भवन से संचालित होने वाला सीआईसीटी अब नए तीन मंजिला परिसर से संचालित होगा। नया परिसर एक विशाल पुस्तकालय, एक ई-लाइब्रेरी, सेमिनार हॉल और एक मल्टीमीडिया हॉल से सुसज्जित है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, सीआईसीटी तमिल भाषा की प्राचीनता और विशिष्टता को स्थापित करने तथा शोध गतिविधियां करके शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने में योगदान दे रहा है।
संस्थान के पुस्तकालय में 45,000 से अधिक प्राचीन तमिल पुस्तकों का समृद्ध संग्रह है। शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने और अपने छात्रों की मदद करने के लिए संस्थान सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने ,अन्य अकादमिक कार्यों के अलावा , फेलोशिप भी प्रदान करता है। इसका उद्देश्य विभिन्न भारतीय और साथ ही 100 विदेशी भाषाओं में ‘थिरुक्कुरल’ का अनुवाद और प्रकाशन करना है।
बयान के अनसार नया परिसर दुनिया भर में शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में संस्थान को एक कुशल कामकाजी माहौल प्रदान करेगा।