अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@sengarlive)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी के मध्य हुई द्विपक्षीय बैठक, ‘मोटो’ ‘मागा’ से ‘मिगा’ जोड़ ‘मेगा’ साझेदारी की राह दिखाई

नई दिल्ली,14 फरवरी (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया,जो भारत और अमेरिका के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (मागा) और भारत के “विकसित भारत” संकल्प को जोड़ते हुए दोनों देशों के बीच साझेदारी को “मेगा” (मेगा) नाम दिया, जिससे एक नई ऊर्जा और दिशा का संचार हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस साझेदारी की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा, “आज की चर्चाओं में हमारे पहले कार्यकाल की उपलब्धियों का संतोष और आपसी विश्वास का मजबूत सेतु था और नए लक्ष्य हासिल करने का संकल्प भी था। भारत और अमेरिका का सहयोग एक बेहतर और समृद्ध विश्व के निर्माण में सहायक हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी लोग राष्ट्रपति ट्रंप के “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (मागा) के मोटो से परिचित हैं, जबकि भारत “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य के साथ तेज़ गति से विकास की ओर अग्रसर है। इसी संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा, “अमेरिका की भाषा में कहूँ,तो विकसित भारत का मतलब ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ (मिगा) है और जब अमेरिका और भारत साथ मिलकर काम करते हैं, तब यह ‘मागा + मिगा ‘ मिलकर ‘मेगा’ बनता है – यह एक साझेदारी है,जो समृद्धि का रास्ता खोलेगी।”

प्रधानमंत्री मोदी ने इस ‘मेगा’ साझेदारी को भारत और अमेरिका के साझा लक्ष्यों को एक नई ऊँचाई देने वाला बताया और कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों के लिए एक नई दिशा और ऊर्जा लेकर आएगी। उनके अनुसार, “मेगा” का मतलब है “समृद्धि के लिए साझेदारी”, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग और रिश्तों को दर्शाता है। यह साझेदारी सिर्फ व्यापारिक या राजनीतिक नहीं,बल्कि समग्र दृष्टिकोण से दोनों देशों के बीच एक स्थिर और मजबूत रिश्ते को दर्शाती है।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपनी राय साझा की और कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव को “काफी हिंसक” बताया। उन्होंने इस विवाद को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की और उम्मीद जताई कि दोनों देश इस मुद्दे का समाधान निकाल सकते हैं। ट्रंप ने इस संबंध में कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि भारत और चीन मिलकर इस विवाद का हल निकालेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों को भी मिलकर काम करना चाहिए ताकि वैश्विक शांति बनी रहे।

भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश के बारे में भी ट्रंप ने अपनी पूर्व स्थिति की याद दिलाई,जब उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी,लेकिन भारत ने इसे तुरंत नकार दिया था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप भारत-चीन सीमा विवाद में अपनी मध्यस्थता की पेशकश को कितनी गंभीरता से आगे बढ़ाते हैं।

इसके अलावा, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और अमेरिका के आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने और आर्थिक सहयोग को गहरा करने के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं। इस दिशा में दोनों देशों के बीच नए व्यापारिक अवसर उत्पन्न होंगे,जो उनके रिश्तों को और मजबूती देंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की कि अमेरिका भारत को अरबों डॉलर के रक्षा उपकरण बेचेगा और भविष्य में भारत को एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स देने की दिशा में काम किया जाएगा। यह घोषणा भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देती है और इस क्षेत्र में दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करती है। ट्रंप ने बताया कि 2017 में उनके प्रशासन ने क्वाड सुरक्षा साझेदारी को फिर से सक्रिय किया था,जिसमें भारत,अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। यह साझेदारी खासतौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर भी जोर दिया और कहा कि दोनों देश कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद से निपटने के लिए पहले से अधिक मजबूती से साथ काम करेंगे। यह साझेदारी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष को मजबूती प्रदान करेगी और दोनों देशों के बीच सामूहिक सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देगी।

इस दौरान ट्रंप ने भारतीय सुरक्षा के लिहाज से एक और महत्वपूर्ण घोषणा की,जब उन्होंने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को मंजूरी देने की बात की। राणा पर 2008 के मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप था और हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। इससे भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता मिल सकती है और यह भारत-अमेरिका साझेदारी की एक और मिसाल साबित हो सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यह बैठक भारत और अमेरिका के रिश्तों के एक नए अध्याय की शुरुआत थी। दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच बढ़ते सहयोग और साझेदारी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का संकल्प लिया। यह संवाद न केवल व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर था,बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर था। दोनों देशों के नेताओं ने यह तय किया कि वे मिलकर एक बेहतर, सुरक्षित और समृद्ध दुनिया की दिशा में काम करेंगे।