सेंट पीटर्सबर्ग,12 अप्रैल (युआईटीवी)- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के बीच हाल ही में सेंट पीटर्सबर्ग में एक अहम बैठक हुई। यह इस वर्ष पुतिन और विटकॉफ की तीसरी वार्ता थी,जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन संघर्ष को लेकर कूटनीतिक बातचीत की गंभीरता बढ़ रही है।
क्रेमलिन के अनुसार,यह बैठक चार घंटे से अधिक चली,जिसमें यूक्रेनी समझौते के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई। इस बैठक के पहले विटकॉफ ने रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव से भी मुलाकात की। दिमित्रिएव ने इस बातचीत को ‘सार्थक’ बताया,जिससे यह संकेत मिलता है कि सिर्फ राजनीतिक ही नहीं,बल्कि आर्थिक आयाम भी इस वार्ता का हिस्सा थे। विटकॉफ न सिर्फ विदेशी निवेश को बढ़ावा देने वाले अधिकारी हैं,बल्कि उन्हें विदेशी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति पुतिन का विशेष दूत भी नियुक्त किया गया है।
यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है,जब डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के प्रति सार्वजनिक रूप से अपनी निराशा व्यक्त की है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा, “रूस को आगे बढ़ना होगा। हजारों लोग हर हफ्ते इस भयानक और निरर्थक युद्ध में मर रहे हैं।” इससे स्पष्ट है कि अमेरिका की तरफ से रूस पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
दूसरी ओर,ट्रंप के एक और दूत कीथ केलॉग विवादों में घिर गए,जब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने यूक्रेन के विभाजन का सुझाव दिया था। रिपोर्ट के अनुसार,केलॉग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ब्रिटिश और फ्रांसीसी सेनाएँ यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में नियंत्रण क्षेत्र बना सकती हैं,जबकि रूस की सेना पूर्वी हिस्से पर काबिज रह सकती है। उन्होंने इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बर्लिन की स्थिति से तुलना करते हुए प्रस्तुत किया। हालाँकि,केलॉग ने बाद में सोशल मीडिया पर सफाई दी कि उनकी बातों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है और उन्होंने यूक्रेन के विभाजन की बात नहीं की थी।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि यूक्रेन संघर्ष अब केवल सैन्य या भौगोलिक मुद्दा नहीं रह गया है,बल्कि इसमें कूटनीति,आर्थिक रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय दबाव की अहम भूमिका बन चुकी है। पुतिन और विटकॉफ की मुलाकातें दर्शाती हैं कि पर्दे के पीछे गहन संवाद जारी है। हालाँकि,ट्रंप की नाराज़गी और केलॉग के बयान जैसे विवाद इस प्रक्रिया को और जटिल बना रहे हैं।
इस घटनाक्रम का निष्कर्ष यह है कि यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में वैश्विक राजनीति में सक्रिय हलचल जारी है,लेकिन अब भी एक स्पष्ट और स्थायी समाधान दूर प्रतीत होता है।