न्यूयॉर्क,20 फरवरी (युआईटीवी)- यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच जुबानी जंग अब तेज हो गई है। ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकाते हुए कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध उनके बिना भी समाप्त हो सकता है। ट्रंप ने इस बयान को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर दिया,जिसमें उन्होंने कहा कि जेलेंस्की को जल्द-से-जल्द समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए,वरना उनके पास कोई देश नहीं बचने वाला। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत चल रही है और यह केवल उनका प्रशासन ही कर सकता है।
यह बयान तब आया जब जेलेंस्की ने सऊदी अरब के रियाद में हुई अमेरिकी और रूसी राजनयिकों की बैठक में यूक्रेन को शामिल न किए जाने पर नाराजगी जताई। जेलेंस्की ने कहा कि यदि यूक्रेन को बाहर रखकर कोई शांति समझौता किया जाता है,तो वे उसे स्वीकार नहीं करेंगे। यह बयान यह भी दर्शाता है कि यूक्रेन को रूस के साथ शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में एक प्रमुख पक्ष के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
ट्रंप के इस बयान के बाद,जेलेंस्की ने उन पर हमला करते हुए कहा कि ट्रंप गलत सूचनाओं के जाल में जी रहे हैं। इस पर ट्रंप ने तुरंत पलटवार किया और जेलेंस्की को “बिना चुनावों के तानाशाह” कहा,उनका इशारा यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनावों के न कराए जाने की ओर था,जिसे युद्ध के कारण स्थगित कर दिया गया था। इससे पहले भी ट्रंप ने विवादास्पद बयान दिए थे। उन्होंने यूक्रेन पर आरोप लगाया था कि उसने युद्ध शुरू किया,जबकि असल में रूस ने 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था।
ट्रंप का मानना है कि यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक अमेरिका है और वह जेलेंस्की को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शांति समझौते के लिए मजबूर कर सकते हैं। इसी बीच,रूस और अमेरिका के राजनयिकों की बैठक चार घंटे तक चली, जिसमें अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल थे। इस बातचीत को दोनों देशों ने सकारात्मक बताया और अपने दूतावासों को पूरी तरह से काम करने की अनुमति देने पर सहमति जताई।
ट्रंप ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि यूक्रेन युद्ध में यूरोप के मुकाबले अमेरिका को कहीं अधिक आर्थिक बोझ उठाना पड़ा है। उनका कहना था कि जेलेंस्की ने अमेरिका से 350 बिलियन डॉलर की सहायता प्राप्त की,जबकि यह युद्ध ऐसा था, जिसे कभी शुरू ही नहीं करना चाहिए था। ट्रंप का यह भी कहना था कि यूरोप को भी उतना ही सहयोग देना चाहिए,जितना अमेरिका दे रहा है,क्योंकि यूक्रेन यूरोपीय देशों का पड़ोसी है,जबकि अमेरिका इससे बहुत दूर है।
ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर निशाना साधते हुए कहा कि यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए बाइडेन ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए। उनका कहना था कि बाइडेन के साथ जेलेंस्की ने अच्छा व्यवहार किया,लेकिन फिर भी युद्ध को रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई। यह बयान यह संकेत करता है कि ट्रंप मानते हैं कि बाइडेन प्रशासन यूक्रेन के मामले में पर्याप्त सक्रिय नहीं रहा है और शांति प्रक्रिया को गति देने के लिए अधिक प्रयास किए जाने चाहिए थे।
वर्तमान में,रूस ने यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर कब्जा कर लिया है,जबकि यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क इलाके के कुछ हिस्सों पर ही नियंत्रण प्राप्त किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी कहा है कि 2014 की सीमाओं पर लौटना अब असंभव लगता है,जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होना अब संभव नहीं लगता,क्योंकि इस संघर्ष ने क्षेत्रीय सुरक्षा को चुनौती दी है और नाटो के सदस्य देशों के लिए इसे स्वीकार करना कठिन हो सकता है।
यह पूरी स्थिति यह बताती है कि यूक्रेन के भविष्य को लेकर एक बड़े राजनीतिक विवाद और तनाव का माहौल बना हुआ है। अमेरिका,यूरोप और रूस के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण,युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई स्थायी समाधान खोजना मुश्किल हो रहा है। ट्रंप की शांति प्रस्तावों और बाइडेन के निष्क्रियता के आरोपों के बीच,यह युद्ध अब केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं रह गया है,बल्कि यह एक बड़ा वैश्विक राजनीतिक संघर्ष बन चुका है,जिसमें प्रत्येक देश अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से शामिल है।
यहाँ तक कि अमेरिकी समर्थन के बावजूद,यूक्रेन का आंतरिक संकट और युद्ध के कारण उत्पन्न मानवीय संकट भी लगातार बढ़ रहा है। लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं और युद्ध के कारण भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इस संकट को खत्म करने के लिए दुनिया के नेताओं को समग्र दृष्टिकोण से सोचना होगा, ताकि शांति कायम हो सके। हालाँकि,ट्रंप की बयानबाजी और बाइडेन की नीतियाँ यह दिखाती हैं कि इस युद्ध का अंत केवल सैन्य मोर्चे पर नहीं,बल्कि कूटनीतिक पहल और वैश्विक समर्थन से ही संभव हो सकता है।
इस समय यूक्रेन की स्थिति वैश्विक राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है और यह देखने वाली बात होगी कि भविष्य में इस संघर्ष का हल कैसे निकाला जाता है।