नई दिल्ली,21 फरवरी (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 21 फरवरी 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में सोल लीडरशिप कॉन्क्लेव के पहले संस्करण का उद्घाटन करेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे भी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह कॉन्क्लेव विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों को एक मंच पर लाकर उनके अनुभवों को साझा करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम के प्रति अपनी उत्सुकता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं 21 फरवरी को सुबह 10:30 बजे भारत मंडपम में सोल लीडरशिप कॉन्क्लेव का उद्घाटन करूँगा। बेहद प्रसन्न हूँ कि मेरे मित्र,भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे इस कॉन्क्लेव में उपस्थित होकर इसकी शोभा बढ़ाएँगे।” प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करता है और भारत-भूटान के रिश्तों में भी एक नई ताकत का संकेत देता है।
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे गुरुवार को नई दिल्ली पहुँचे, जहाँ केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने उनका स्वागत किया। शेरिंग टोबगे की उपस्थिति इस कार्यक्रम को और भी ऐतिहासिक बनाती है,क्योंकि यह भारत और भूटान के मध्य के घनिष्ठ राजनयिक संबंधों का प्रतीक है। भारत-भूटान के रिश्ते सदियों पुरानी दोस्ती, सहयोग और साझेदारी पर आधारित हैं और इस कार्यक्रम में शेरिंग टोबगे का आना इस संबंध को और मजबूत करता है।
सोल लीडरशिप कॉन्क्लेव का आयोजन 21 और 22 फरवरी को दो दिवसीय कार्यक्रम के रूप में किया जा रहा है,जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित और सफल व्यक्तियों के अनुभवों को एक ही मंच पर साझा करना है। इस कॉन्क्लेव में राजनीति,खेल,कला और मीडिया,आध्यात्मिकता,सार्वजनिक नीति,व्यवसाय और समाजिक क्षेत्र जैसे विविध क्षेत्रों से जुड़ी प्रसिद्ध शख्सियतें अपनी प्रेरक जीवन यात्राओं को साझा करेंगी। साथ ही वे नेतृत्व,समर्पण,संघर्ष और सफलता से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे।
Addressing the SOUL Leadership Conclave in New Delhi. It is a wonderful forum to nurture future leaders. @LeadWithSoul
https://t.co/QI5RePeZnV— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2025
इस कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि यह सहयोग और विचार नेतृत्व के एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा,जो युवाओं को विफलताओं और सफलताओं से सीखने का अवसर प्रदान करेगा। यह आयोजन न केवल प्रसिद्ध हस्तियों को मंच देने का अवसर है,बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह युवा वर्ग को यह समझाने में मदद करेगा कि सफलता केवल जन्म के कारण नहीं,बल्कि मेहनत,समर्पण और संकल्प से मिलती है।
कॉन्क्लेव का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि यह भारत के राजनीतिक नेतृत्व पूल में विविधता लाने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य यह है कि वंशावली के बजाय, केवल योग्यता, समर्पण और उत्साह दिखाने वाले व्यक्तियों को अवसर मिले, जो सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। इसके माध्यम से एक ऐसे नेतृत्व का निर्माण करना है जो केवल पारंपरिक राजनीति से बाहर निकलकर राष्ट्र की सेवा करे।
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, “यह कॉन्क्लेव उन लोगों को सशक्त बनाने का अवसर है,जो वंशानुगत राजनीति के बजाय जनसेवा के लिए अपनी योग्यता,प्रतिबद्धता और जुनून के माध्यम से आगे बढ़ते हैं।” यह कॉन्क्लेव राजनीति,समाजसेवा और नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
पीएमओ के अनुसार,गुजरात में एक आगामी संस्थान,स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप (एसओयूएल) की स्थापना की जाएगी,जो इस प्रकार के नेतृत्व प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा। यह संस्थान सेवकों को जनहित में आगे बढ़ाने के लिए सक्षम बनाएगा और भारत के राजनीतिक परिदृश्य में नई संभावनाओं को जन्म देगा। इस संस्थान का उद्देश्य राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक सकारात्मक बदलाव लाना है, जिसमें वह लोग शामिल होंगे,जो केवल वंशानुगत राजनीति के बजाय अपने कड़े संघर्ष और कौशल के आधार पर सार्वजनिक सेवा में योगदान देंगे।
सोल लीडरशिप कॉन्क्लेव और एसओयूएल दोनों ही भारत में नेतृत्व के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। वे न केवल राष्ट्र की सेवा में नए दृष्टिकोण को लाएँगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि इस दुनिया की जटिलताओं को समझने और उनसे निपटने के लिए आवश्यक जानकारी,कौशल और विशेषज्ञता का निर्माण किया जा सके। इन पहलों के माध्यम से,प्रधानमंत्री मोदी का यह उद्देश्य है कि एक ऐसा नेतृत्व तैयार किया जाए,जो आज के समय में राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रभावी हो और समाज की भलाई के लिए काम कर सके।
सोल लीडरशिप कॉन्क्लेव और एसओयूएल की स्थापना भारत के भविष्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है,जहाँ योग्य और समर्पित नेताओं का एक नया दौर तैयार होगा,जो वंशावली की बजाय अपने अनुभव और कौशल के बल पर भारत की सेवा करेंगे।