छठा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन (तस्वीर क्रेडिट@RaviDadaChavan)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में लिया हिस्सा,क्षेत्रीय सहयोग के प्रति जताई प्रतिबद्धता

बैंकॉक,4 अप्रैल (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बैंकॉक में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस सम्मेलन में बांग्लादेश, म्यांमार,नेपाल,श्रीलंका,थाईलैंड,भूटान और भारत के नेताओं ने भाग लिया,जो बांगलादेश की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) का हिस्सा हैं। यह शिखर सम्मेलन इन देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने समकक्ष नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और इन देशों के बीच समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

बिम्सटेक एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है,जो सात देशों को एक साथ लाता है और इसके सदस्य देशों में साझा हितों और परस्पर सहयोग के अवसर हैं। इस संगठन के माध्यम से इन देशों ने समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास,पर्यावरण,शिक्षा,विज्ञान और प्रौद्योगिकी,व्यापार,परिवहन,ऊर्जा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया है।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली,भूटानी प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे,श्रीलंकाई प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या,बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और म्यांमार के सैन्य नेता वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग शामिल थे। थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा ने इन सभी नेताओं का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के दौरान एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित शिखर सम्मेलन में अपने साथी बिम्सटेक नेताओं के साथ। विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए हम अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। हमारी कोशिशों से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए, ऐसी कामना करता हूँ।”

इस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच म्यांमार में आए हालिया विनाशकारी भूकंप के बाद द्विपक्षीय संबंधों और भारत के समर्थन पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस भूकंप के कारण म्यांमार में हुए जान-माल के नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की और भारत के इस कठिन समय में म्यांमार के नागरिकों की सहायता करने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग से मुलाकात की। एक बार फिर,हाल ही में आए भूकंप के मद्देनजर जान-माल के नुकसान पर संवेदना व्यक्त की। भारत इस कठिन समय में म्यांमार के अपने बहनों और भाइयों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।”

म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद,भारत ने “ऑपरेशन ब्रह्मा” के तहत मानवीय सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया। इस भूकंप में 3,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। भारत ने म्यांमार में आपातकालीन राहत और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए अपनी पूरी मदद भेजी है। यह भारत की एकजुटता और आपसी समर्थन को दर्शाता है,खासकर संकट के समय में।

इस शिखर सम्मेलन से पहले,प्रधानमंत्री मोदी ने बैंकॉक में थाईलैंड के गवर्नमेंट हाउस में प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। दोनों नेताओं के बीच हुई इस वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने भारत और थाईलैंड के संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में और अधिक प्रगति देने पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस वार्ता के बाद कहा कि भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग को कई स्तरों पर बढ़ाया जा सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार,संस्कृति,शिक्षा, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं और इन क्षेत्रों में सहयोग को और विस्तारित करने पर जोर दिया गया। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा,आतंकवाद से लड़ाई और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा हुई।

बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय समृद्धि और स्थिरता के लिए बिम्सटेक के देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक देशों को मिलकर साझा वैश्विक चुनौतियों का सामना करना होगा और एकजुटता से विकास की दिशा में काम करना होगा। इसके अलावा,प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत बिम्सटेक देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और इन देशों के बीच सहयोग को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

इस शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य इन देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना और एक साझा विकास मार्ग पर चलने के लिए रणनीतियों का निर्धारण करना था।