प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@DrJitendraSingh)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिविल सर्विस डे पर कहा- आज की नीतियाँ एक हजार साल का भविष्य तय करेंगी

नई दिल्ली,21 अप्रैल (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और देश भर के सिविल सेवकों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्कृष्ट कार्य के लिए कई अधिकारियों को सम्मानित भी किया। प्रधानमंत्री के संबोधन का केंद्रबिंदु राष्ट्र निर्माण में सिविल सेवकों की भूमिका और भविष्य की दिशा रही।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में जो नीतियाँ बन रही हैं और जो निर्णय लिए जा रहे हैं,वे आने वाले हजार वर्षों की नींव रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम इस सहस्त्राब्दी के पहले 25 वर्ष पूरे कर चुके हैं और यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। अब हमारे हर कदम,हर नीति और हर निर्णय का असर भारत के दीर्घकालिक भविष्य पर पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे दौर में हैं,जहाँ दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसे में भारत की नौकरशाही और नीति-निर्माण में भी लचीलापन,नवाचार और तेज़ी जरूरी है। पुराने ढर्रे पर चलकर हम नए भारत का निर्माण नहीं कर सकते। इसी वजह से 2014 के बाद से हमने व्यवस्थागत बदलावों को प्राथमिकता दी है।”

प्रधानमंत्री ने इस बार के सिविल सेवा दिवस को विशेष बताते हुए कहा कि यह साल संविधान के 75 वर्ष पूरे होने और सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का अवसर है। उन्होंने याद दिलाया कि 21 अप्रैल, 1947 को सरदार पटेल ने सिविल सेवकों को ‘भारत का स्टील फ्रेम’ कहा था अर्थात एक ऐसा तंत्र जो ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक हो।

पीएम मोदी ने कहा, “सरदार पटेल ने जिस तरह से स्वतंत्र भारत की ब्यूरोक्रेसी के लिए मानदंड तय किए थे,वह आज भी प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने एक ऐसे सिविल सेवक की कल्पना की थी,जो राष्ट्र की सेवा को सर्वोच्च कर्तव्य माने,जो लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करे और जो जनता के प्रति उत्तरदायी हो।”

प्रधानमंत्री ने ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य पर विशेष बल देते हुए कहा कि इसके लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र,व्यक्ति और संसाधन को एकजुट करना होगा। उन्होंने कहा, “हमें हर दिन,हर क्षण,इस संकल्प के साथ जीना है कि हम एक विकसित भारत का निर्माण करेंगे। इसके लिए हमें हर स्तर पर परिवर्तन और नवाचार की आवश्यकता है।”

सिविल सेवा दिवस की इस वर्ष की थीम ‘भारत का समग्र विकास’ पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक विषय नहीं,बल्कि राष्ट्र के प्रति एक गहरी प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा, “समग्र विकास का अर्थ है कि देश का कोई भी नागरिक, कोई भी परिवार,कोई भी गाँव विकास की दौड़ में पीछे न रह जाए। वास्तविक प्रगति तब होती है,जब हर घर में शुद्ध जल पहुँचे,हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और हर नागरिक को समान अवसर उपलब्ध हों।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का आकांक्षी समाज — युवा, महिलाएँ और किसान नए सपने देख रहा है और उन सपनों को साकार करने के लिए सरकार को नई ऊर्जा और गति के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा, “आज का भारत छोटे-मोटे बदलावों से संतुष्ट नहीं होगा। उसे बड़े स्तर पर प्रभावी और सार्थक बदलाव चाहिए। इसके लिए सिविल सेवकों को अपनी भूमिका को और अधिक सक्रियता, संवेदनशीलता और परिणाम केंद्रित दृष्टिकोण के साथ निभाना होगा।”

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ प्रमुख अधिकारियों को उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत किया और उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी उन लाखों सिविल सेवकों के प्रतिनिधि हैं,जो देश के हर कोने में समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन सेवकों के कार्यों से ही आम नागरिकों का जीवन बेहतर बनता है और राष्ट्र प्रगति की दिशा में आगे बढ़ता है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन इस प्रेरणास्पद वाक्य से किया — “देश सेवा का यह भाव,यह समर्पण,यह प्रतिबद्धता ही भारत को विकसित राष्ट्र बनाएगा। जब हम सब मिलकर समग्र विकास की भावना से काम करेंगे,तभी हमारा देश अपनी संपूर्ण क्षमता को प्राप्त कर सकेगा।”

इस प्रकार,सिविल सेवा दिवस 2025 न केवल एक औपचारिक आयोजन रहा,बल्कि यह एक प्रेरणा का स्रोत भी बना,जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने देश की नौकरशाही को 21वीं सदी की चुनौतियों और संभावनाओं के लिए तैयार रहने का संदेश दिया।