नयी दिल्ली,17 जुलाई (युआईटीवी)- देशवासियों को बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएँ दी। महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल के उपासक खासतौर पर इस पर्व को पूरे श्रद्धाभाव और उत्साह से मनाते हैं। द्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्योहार में विनम्रता और करुणा के भाव को बनाए रखने का निवेदन किया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक पोस्ट के जरिए आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएँ देते हुए लिखा,आषाढ़ी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ ! हमेशा हम पर भगवान विट्ठल का आशीर्वाद बना रहे और हमें प्रेरित करें कि हम ऐसे समाज का निर्माण कर सके जो खुशी एवं समृद्धि से भरा हो। हम सभी में यह अवसर विनम्रता,भक्ति और करुणा को भी प्रेरित करे। यह हमें गरीब से गरीब व्यक्ति की परिश्रम और अत्यंत ईमानदारी के साथ सेवा करने के लिए भी प्रेरित करे।
Greetings on Ashadhi Ekadashi! May the blessings of Bhagwan Vitthal always remain upon us and inspire us to build a society filled with joy and prosperity. May this occasion also inspire devotion, humility and compassion in us all. May it also motivate us to serve the poorest of…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 17, 2024
सोशल मीडिया एक्स पोस्ट में पीएम मोदी ने भगवान विठ्ठल का जिक्र किया है। बता दें कि भगवान विठ्ठल,विठोबा अर्थात पाण्डुरंग एक हिन्दू देवता हैं। मुख्य तौर पर महाराष्ट्र,गोवा,कर्नाटक,आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में इनकी पूजा की जाती है। भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार,कृष्ण की अभिव्यक्ति के रूप में भगवान विठ्ठल को माना जाता है।
पंढरपुर स्थित मंदिर में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस खास अवसर पर अपनी पत्नी संग आज तड़के श्री विठ्ठल रुक्मिणी महापूजा संपन्न की।
इस ख़ास अवसर पर किसान बालू शंकर अहिरे (55 वर्ष) और उनकी पत्नी आशाबाई बालू अहिरे (50 वर्ष) भी मुख्यमंत्री के साथ बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे का कहना है कि इस बार पंढरपुर यात्रा, आषाढ़ी यात्रा का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया जा रहा है। हमारे भाई-बहन पिछले साल की तुलना में इस साल यहाँ अधिक आए हैं। उनके लिए सरकार और जिला प्रशासन ने व्यवस्था की है।
आषाढ़ी एकादशी आषाढ़ के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह भगवान विष्णु का शयन काल होता है। पुराणों के अनुसार,भगवान विष्णु इस दिन से चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसलिए इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। चातुर्मास का प्रारंभ इसी दिन से हो जाता है।