प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब, हरियाणा के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपा

प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब, हरियाणा के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपा

चंडीगढ़, 26 जून (युआईटीवी/आईएएनएस)- तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर हजारों किसानों ने शनिवार को पंजाब और हरियाणा से चंडीगढ़ की ओर मार्च किया और संबंधित राज्यपालों को ज्ञापन सौंपा। हरियाणा के किसान पंचकूला की ओर से चंडीगढ़ में प्रवेश करने से पहले ही रुक गए, जबकि पंजाब के किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर और पानी की बौछारों का सामना कर चंडीगढ़ में प्रवेश किया। इसके बाद पंजाब राजभवन के पास मार्च किया।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों के विरोध के सात महीने पूरे होने और भारत में आपातकाल की 47वीं वर्षगांठ पर 26 जून को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान संघ (बीकेयू) की हरियाणा इकाई के नेता गुरनाम चढ़ूनी ने कहा था कि विरोध शांतिपूर्ण होगा और राज्यपाल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि अगर पुलिस उन्हें चंडीगढ़ में प्रवेश नहीं करने देगी तो वे प्रवेशद्वार पर शांति से बैठेंगे। इसलिए वे चंडीगढ़ में प्रवेश करने से पहले रुक गए और एक सरकारी अधिकारी के माध्यम से हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को ज्ञापन सौंपा।

इसी तरह, पुलिस पंजाब के किसानों को समझाने में कामयाब रही, जो मोहाली से चंडीगढ़ में राज्यपाल के आवास की ओर मार्च कर रहे थे। उन्होंने अपना ज्ञापन राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर को सौंपा।

कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका के कारण चंडीगढ़ और उसके आसपास भारी बैरिकेडिंग और सुरक्षा तैनात की गई है।

प्रदर्शन कर रहे किसान केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, वे फार्म यूनियन के झंडे लिए हुए थे और ट्रैक्टरों और कारों पर सवार थे। उनमें से कई पैदल भी चल रहे थे।

पंजाब और हरियाणा, दोनों राज्यों से चंडीगढ़ जाने के रास्ते में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शनकारी किसानों के लिए विशेष लंगर या सामुदायिक रसोई का आयोजन किया।

पंजाब के लुधियाना शहर से अपने दोस्तों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने आईं एक प्रदर्शनकारी महिला किसान गुरजीत कौर ने कहा, “हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता।”

उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता पिछले साल 26 नवंबर से ही दिल्ली की सिंघू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।

एक अन्य प्रदर्शनकारी गुरजोत कौर ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी उनके लिए कोई खतरा नहीं है, इसलिए उन्हें मास्क की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “असली खतरा केंद्र के कृषि कानूनों से है, क्योंकि वे कॉर्पोरेट हितों के पक्ष में हैं और ये हमारी आजीविका को नष्ट कर देंगे।”

पुलिस के अनुमान के अनुसार, पंजाब से चंडीगढ़ में प्रवेश करने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या 10,000 हो सकती है, जिसमें बड़ी संख्या में युवा और महिलाएं शामिल हैं।

इसी तरह का विरोध पंजाब और हरियाणा दोनों में सभी जिला मुख्यालयों में फार्म यूनियनों द्वारा किया गया था।

किसान कृषि कानूनों का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे या वे इसे बड़ी कॉर्पोरेट संस्थाओं की दया पर छोड़ देंगे।

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