भोपाल,9 मार्च (युआईटीवी)- मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जोर-शोर से निकाली गई,लेकिन कांग्रेस को यह यात्रा जोड़ कर नहीं रख पाई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने इस यात्रा के बाद कांग्रेस का हाथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं,जिससे आगामी लोक सभा चुनाव के पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस का हाथ छोड़ने के बाद सुरेश पचौरी ने कहा कि जहाँ राम का अनादर हो,उसका साथ छोड़ देना ही उचित है। वे कांग्रेस में 40 साल से भी अधिक समय से थे और उन्हें गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने से वे काफी क्षुब्ध थे। उनका कहना था कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर के निर्माण के लिए अपना निर्णय सुना दिया और सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का कांग्रेस ने स्वागत किया था,तो फिर राम मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण को कांग्रेस ने क्यों ठुकराया।
मध्य प्रदेश से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा गुजरने के बाद उन्होंने कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लिया है। सुरेश पचौरी के अलावा पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी,पूर्व विधायक संजय शुक्ला,विशाल पटेल,अर्जुन पलिया समेत कई बड़े नेता भाजपा पार्टी प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव,राज्य भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सत्तारूढ़ दल भाजपा में शामिल हो गए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और उनके साथ भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेताओं का मुख्यमंत्री मोहन यादव,पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित तमाम बड़े नेताओं ने भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित समारोह में स्वागत किया। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी की मध्य प्रदेश से गुजरी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर मजाक उड़ाते हुए कहा कि कांग्रेस की यात्रा जहाँ से होकर गुजरती हैं,कांग्रेस वहाँ साफ हो जाती है।
मध्य प्रदेश की राजनीति के लिहाज से लगभग चार साल बाद पुनः कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2020 में कांग्रेस पार्टी को 22 विधायकों के साथ छोड़ दिया था और अब साल 2024 में कांग्रेस का साथ सुरेश पचौरी ने छोड़ा है।
सुरेश पचौरी को गांधी परिवार का करीबी और कांग्रेस का स्तंभ माना जाता था,लेकिन राज्य की राजनीति में उन्हें धीरे-धीरे किनारे कर दिया गया। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आमंत्रण को जब कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया था,इस बात को लेकर तब से वे काफी दुखी थे।
सुरेश पचौरी राज्य की राजनीति में कांग्रेस के एक ताकतवर नेता रहे हैं। किसी दौर में राज्य में सुरेश पचौरी,दिग्विजय सिंह,ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ के चार गुट हुआ करते थे।