"इंडियाज गॉट लेटेंट" (तस्वीर क्रेडिट@PMishra_Journo)

रणवीर इलाहाबादिया ने अभद्र टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया,सीजीआई ने जल्द सुनवाई की अपील को किया खारिज

नई दिल्ली,14 फरवरी (युआईटीवी)- “इंडियाज गॉट लेटेंट” शो में अपनी विवादित टिप्पणी के कारण सुर्खियों में आए यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की,जिसमें उन्होंने तुरंत सुनवाई की माँग की थी। यह याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के सामने पेश की गई।

सीजीआई खन्ना ने इस मामले को तुरंत सुनवाई के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि सुनवाई की तारीख पहले ही तय हो चुकी है। रणवीर इलाहाबादिया ने यह कदम अपने खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज किए गए केसों से बचने के लिए उठाया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से सुरक्षा की माँग की है,ताकि उनके खिलाफ किसी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई न हो।

यह विवाद स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के 8 फरवरी के एक एपिसोड से जुड़ा है,जिसे यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। इस यूट्यूब चैनल के 7.3 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं। रणवीर ने एपिसोड के दौरान एक कंटेस्टेंट से उनके माता-पिता के बारे में अभद्र सवाल पूछा था,जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसे लेकर काफी विवाद उठ खड़ा हुआ।

इस बीच, रणवीर इलाहाबादिया को मुंबई की खार पुलिस ने दूसरा समन भेजा है और शुक्रवार को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है। दरअसल, वह गुरुवार को समय पर पुलिस के सामने पेश नहीं हुए थे। पुलिस अब तक सात लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है,जिनमें मशहूर यूट्यूबर आशीष चंचलानी,कंटेंट क्रिएटर अपूर्व मखीजा और द हैबिटेट स्टूडियो के मालिक बलराज सिंह घई के पिता भी शामिल हैं।

रणवीर की टिप्पणी को लेकर साइबर सेल और मुंबई पुलिस अलग-अलग जाँच कर रहे हैं। इस मामले में असम पुलिस की एक टीम भी मुंबई में है और उन्होंने महाराष्ट्र साइबर सेल के अधिकारियों से मुलाकात की है।

विवाद के बीच,समय रैना ने दावा किया कि उन्होंने शो के सभी वीडियो यूट्यूब से हटा दिए हैं। उनका कहना था कि उनका उद्देश्य सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना और उन्हें हँसाना था और उन्होंने किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक या अश्लील टिप्पणी करने का इरादा नहीं किया था।

हालाँकि,इस मामले में कई कानूनी शिकायतें भी दायर की गई हैं। इन शिकायतों में आरोप है कि शो में माता-पिता के बारे में की गई टिप्पणियाँ अश्लील और आपत्तिजनक हैं,जो भारत के सामाजिक और नैतिक मूल्यों के खिलाफ हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इस प्रकार की कॉमेडी युवाओं को भ्रष्ट करती है और महिलाओं के खिलाफ अनुचित व्यवहार को बढ़ावा देती है।

यह मामला यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पब्लिक फिगर्स द्वारा की गई अभद्र टिप्पणियों और उनके असर को लेकर एक बड़ा विवाद बन चुका है। खासकर युवा दर्शकों के बीच इस प्रकार की सामग्री के प्रभाव और इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

इस विवाद ने यह भी साबित किया है कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर के लिए जिम्मेदारी और नैतिकता की अहमियत बढ़ गई है। जहाँ एक तरफ यह प्लेटफॉर्म्स स्वतंत्रता और रचनात्मकता का आदान-प्रदान करते हैं,वहीं दूसरी तरफ उन पर अभद्रता और असंवेदनशीलता को बढ़ावा देने के आरोप भी लग रहे हैं।

रणवीर इलाहाबादिया और अन्य कंटेंट क्रिएटर्स पर की गई कानूनी कार्यवाही यह संकेत देती है कि इस प्रकार के विवादों को लेकर गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। अब यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या यह समाज में जिम्मेदार कॉमेडी और कंटेंट क्रिएशन के लिए एक उदाहरण बनेगा।