मुंबई, 23 सितंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को महाराष्ट्र के सोलापुर में लक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया।
नतीजतन, बैंक ने 22 सितंबर को कारोबार की समाप्ति के साथ बैंकिंग कारोबार करना बंद कर दिया।
महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक (लिक्विडेटर) नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
लाइसेंस रद्द करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा बताए गए कारण ये हैं :
- बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।
- बैंक धारा 22(3) (ए), 22(3)(बी), 22 (3)(सी), 22(3)(डी) और 22(3)(ई) के साथ बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के तहत नियमों का पालन करने में विफल रहा है।
- बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।
- बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने मौजूदा जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा।
- अगर बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
परिसमापन पर प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अधीन जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से केवल 5 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा तक जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा।
बैंक द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 13 सितंबर तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त इच्छा के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के तहत कुल बीमित जमा राशि का 193.68 करोड़ रुपये पहले ही भुगतान कर दिया है।